आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज का हुआ तबादला, जयपुर में मिली ये जिम्मेदारी
By रामदीप मिश्रा | Updated: May 3, 2018 14:54 IST2018-05-03T14:54:01+5:302018-05-03T14:54:01+5:30
जोधपुर पोक्सो कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने आसााराम को आजीवन सजा सुनाते हुए फैसले में लिखा था कि आसाराम की हरकत की वजह से पूरा संत समाज बदनाम हुआ है।

आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज का हुआ तबादला, जयपुर में मिली ये जिम्मेदारी
जयपुर, 3 मईः नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में जोधपुर की एससी-एसटी एक्ट अदालत ने धार्मिक गुरु आसाराम बापू को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज मधुसुदन शर्मा का तबादला कर दिया गया है। अब उन्हें जयपुर कानून विभाग के संयुक्त सचिव बनाया गया है। जज ने आसाराम सहित दो अन्य आरोपियों को 20-20 साल जेल की सजा सुनायी थी। अदालत ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
जज मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर सेंट्रल जेल में बनी अस्थायी अदालत में फैसला सुनाया था। अगस्त 2013 में पीड़िता ने 77 वर्षीय आसाराम के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी। आसाराम को अगस्त 2013 में ही गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से आसाराम जोधपुर सेंट्रल जेल में कैद है।
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जोधपुर पोक्सो कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने आसााराम को आजीवन सजा सुनाते हुए फैसले में लिखा था कि आसाराम की हरकत की वजह से पूरा संत समाज बदनाम हुआ है और हिन्दू धर्म की भी बदनामी हुई है। साल 2013 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली 16 वर्षीय लड़की ने पुलिस में आसाराम के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी।
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पीड़िता के माता-पिता आसाराम बापू के भक्त थे। लड़की आसाराम बापू की संस्था द्वारा चलाए जाने वाले स्कूल की छात्रा थी। जोधपुर स्थित आसाराम के आश्रम में आसाराम ने उसके संग यौन दुर्व्यवहार किया। मामले के कई गवाहों की सुनवाई को दौरान हत्या हो गयी और कुछ के संग मारपीट हुई।
आसाराम बापू पर लगे नाबालिग से बलात्कार के आरोप की टाइमलाइन-
15 अगस्त 2013: जोधपुर स्थित मणाई गांव के पास फार्म हाउस में आसाराम बापू ने कथित तौर पर एक नाबालिग छात्रा का बलात्कार किया।
19 अगस्त 2013: पीड़िता और उसके माता-पिता ने नई दिल्ली के कमला नगर पुलिस स्टेशन में आसाराम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
19 अगस्त 2013: पुलिस ने 1 बजकर 5 मिनट पर पीड़िता का मेडिकल कराया। इसके बाद उसी दिन मामला दर्ज किया गया।
20 अगस्त 2013: धारा 164 के अंतर्गत पीड़िता के बयान दर्ज किया गया। जिसके बाद दिल्ली के कमला नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज जीरो एफआईआर को जोधपुर ट्रान्सफर किया गया।
21 अगस्त 2013: जोधपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद आसाराम के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 342, 376, 354 (ए), 506, 509 व 134 के तहत केस दर्ज हुआ।
31 अगस्त 2013: केस दर्ज होने के बाद जोधपुर पुलिस की टीम ने मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से आसाराम को गिरफ्तार किया। आसाराम के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 8 और जेजेए की धारा 23 व 26 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ।
6 नवम्बर 2013: कोर्ट में पुलिस द्वारा आसाराम के खिलाफ चालान पेश किया गया। इसके बाद नवम्बर 29 को कोर्ट ने संज्ञान लिया।
13 फरवरी 2014: मुख्य आरोपी आसाराम और सहआरोपी शिल्पी, शरद, प्रकाश के खिलाफ कोर्ट ने आरोप तय किए।
19 मार्च 2014 से 6 अगस्त 2016: इस दौरान पीड़िता पक्ष ने 44 गवाहों की गवाही कराई और इसके अलावा कोर्ट में 160 दस्तावेज पेश किए गए।
4 अक्टूबर 2016: जोधपुर कोर्ट में बलात्कार आरोपी आसाराम के बयान दर्ज किए गए।
22 नवम्बर 2016 से 11 अक्टूबर 2017: इस दौरान में बचाव पक्ष ने अदालत के समक्ष 31 गवाही दर्ज कराई, और साथ में 225 दस्तावेज पेश किए।
7 अप्रैल 2018: इस मामले में विशेष एससी-एसटी कोर्ट में बहस पूरी हो गई।
25 अप्रैल 2018: अदालत ने आसाराम बापू और दो अन्य अभियुक्तों को दोषी करार दिया। दो अभियुक्तों को अदालत ने बरी कर दिया।
25 अप्रैल 2018: अदालत ने आसाराम को नाबालिग के रेप के लिए उम्रकैद की सजा सुनायी। दो अन्य दोषियों को 20-20 साल कैद की सजा हुई है। अदालत ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्मान लगाया।