न्यायाधीश ने नारद जमानत मामले को सूचीबद्ध किये जाने की प्रक्रिया पर उठाया सवाल

By भाषा | Updated: May 29, 2021 00:18 IST2021-05-29T00:18:56+5:302021-05-29T00:18:56+5:30

Judge raised questions on the process of listing Narada bail case | न्यायाधीश ने नारद जमानत मामले को सूचीबद्ध किये जाने की प्रक्रिया पर उठाया सवाल

न्यायाधीश ने नारद जमानत मामले को सूचीबद्ध किये जाने की प्रक्रिया पर उठाया सवाल

कोलकाता, 28 मई कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को लिखे एक कथित पत्र में नारद जमानत मामले को सूचीबद्ध करने में अपनायी गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अदालत ‘‘एक मजाक’’ बन गयी है।

कानूनी समाचार पोर्टल ‘बार एंड बेंच’ के अनुसार, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा ने 24 मई की तिथि वाले अपने पत्र में कहा है कि अदालत का आचरण उच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है और कहा कि इसे स्वयं को व्यवस्थित करते हुए कार्य को मिलकर करना चाहिए।

समाचार पोर्टल ने पत्र की एक बिना हस्ताक्षरित प्रति अपनी साइट पर डाली है।

न्यायाधीश उन पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा नहीं हैं जो नारद स्टिंग टेप मामले की सुनवाई कर रही है। उन्होंने कथित तौर पर लिखा है कि जबकि अपीलीय पक्ष नियमों के अनुसार किसी एकल न्यायाधीश द्वारा सुनवाई के लिए दीवानी या आपराधिक पक्ष में स्थानांतरण के लिए एक प्रस्ताव की आवश्यकता होती है, वहीं उच्च न्यायालय की प्रथम खंडपीठ ने सीबीआई बनाम चार आरोपियों से संबंधित मामले को एक रिट याचिका के रूप में लिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी कथित पत्र का एक मूलपाठ ट्वीट किया और इसे साहसिक करार दिया।

पत्र में लिखा है, ‘‘हम एक मजाक बन गए हैं। इसलिए मैं हम सभी से अनुरोध करता हूं कि हमारे नियमों और आचरण को लेकर हमारे नियमों और अलिखित संहिता की शुचिता की पुन: पुष्टि करने के उद्देश्य से, यदि आवश्यक हो, तो एक पूर्ण अदालत (फुल कोर्ट) आहूत किये जाने सहित इस तरह के कदम उठाकर स्थिति को ठीक किया जाए।’’

जांच एजेंसी ने नारद स्टिंग टेप मामले को यहां एक विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है, जिसने मार्च, 2017 में सीबीआई द्वारा मामले की जांच का आदेश दिया था।

न्यायाधीश ने कथित तौर पर लिखा, ‘‘संचार को इस तरह से रिट याचिका के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए था क्योंकि संविधान की व्याख्या के संबंध में कानून का कोई बड़ा सवाल नहीं उठाया गया था।’’

कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के अधिकारी की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।

उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने मामले में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा दी गयी जमानत पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय की पीठ ने सीबीआई के एक ईमेल पर उसका पक्ष सुनने के बाद फैसला सुनाया।

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Web Title: Judge raised questions on the process of listing Narada bail case

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