जम्मू: पिछले सप्ताह आरक्षण के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास पर प्रदर्शन करने वाले नेकां के ही सांसद आगा सैयद रुहुल्ला और उमर अब्दुल्ला के बीच कथित तौर पर टकराव बढ़ता जा रहा है। दरअसल सांसद को इस प्रदर्शन के लिए पूरे विपक्ष ने उनका साथ दिया जो मुख्यमंत्री को नागवार गुजरा। अब ऐसे में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला से कहा कि उन्हें जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद के सामने विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।
इसके कुछ घंटों बाद रुहुल्ला ने कहा कि न केवल राज्य का दर्जा बल्कि अनुच्छेद 370 की बहाली भी उनकी मांग है और वे इसके लिए भी कम से कम 100 सांसदों का समर्थन प्राप्त कर ऐसा करेंगें। दरअसल सांसद की बढ़ती लोकप्रियता और ताकत पार्टी में खतरे के तौर पर देखी जा रही है।
सांसद आगा सैयद रुहुल्ला कहते थे कि मुझे दिल्ली में राज्य के दर्जे के लिए विरोध करने की इच्छा और आग्रह के बारे में बताया गया है। मैं इस तरह के विरोध में भाग लेने के लिए तैयार हूं और राज्य के दर्जे को प्राथमिकता देने वालों को इसे आयोजित करने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं कम से कम 100 माननीय सांसदों से समर्थन जुटाने की भी कोशिश करूंगा।
उनका कहना था कि मेरा मानना है कि इसे आयोजित करने के लिए जनवरी से बेहतर कोई समय नहीं है, जब भारत के संविधान-वही दस्तावेज जिसने हमारे विशेष दर्जे को सुनिश्चित किया- को अपनाया गया था।
कई पत्रकारों के साथ करते हुए तथा एक्स पर अपनी पोस्टों में वे कहते थे कि वर्ष 2019 के बाद से मेरा राजनीतिक रुख बिल्कुल साफ है। बडगाम में अपनी पहली सार्वजनिक सभा में और बाद में पूरे कश्मीर में अन्य सभाओं में और निरस्तीकरण के बाद अपने साक्षात्कारों में, मैंने अपने लोगों से कहा कि हमारी लड़ाई अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए इसके द्वारा निहित सम्मान के लिए होनी चाहिए।
उनका कहना था कि इस विवासघात को देखते हुए, हमारी भावना को तोड़ने और हमारी इच्छा को दबाने के इस सुनियोजित प्रयास को देखते हुए, मैं अपने विवेक के अनुसार, हमारे विशेष दर्जे की लड़ाई को दरकिनार नहीं कर सकता और केवल राज्य के दर्जे के खोखले वादे से संतुष्ट नहीं हो सकता। वे सवाल करते थे कि क्या हमारी आवाज पहले हमारे सम्मान, हमारी पहचान और उस स्वायत्तता के लिए नहीं उठनी चाहिए, जिससे हमें लंबे समय से वंचित रखा गया है?
साथ ही, वे इस बात पर जोर देते थे कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना अपमान का एक सुनियोजित कार्य था और कश्मीरियों को जानबूझकर गहरा घाव दिया गया था। उनका कहना था कि इसके बाद केंद्र शासित प्रदेश में पदावनत करना हमें निरस्तीकरण की अपमानजनकता को समझाने का एक और प्रयास था। उनके शब्दों में:‘ निरस्तीकरण एक राजनीतिक बयान था, एक घोषणा कि हमारे बलिदान का कोई मतलब नहीं है और हमारा भविष्य उनके द्वारा तय किया जाना है।’
रूहुल्ला ने अपनी पार्टी को अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए आवाज उठाते रहने की सलाह भी दी है और आश्वासन दिया कि चाहे उनका कोई साथ दे या नहीं पर वे ऐसा करना जारी रखेंगे। इससे पहले आज, जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आरक्षण के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के सांसद आगा रूहुल्ला के विरोध और सैकड़ों छात्रों के साथ उनके आवास के सामने उनके विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया, तो उमर ने कहा था कि यह लोकतंत्र है; कोई भी अपनी आवाज उठा सकता है।
उनका कहना था कि मैं राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एमपी साहब के नेतृत्व में संसद के सामने एक अच्छा विरोध प्रदर्शन देखना चाहूंगा।