जीतन राम मांझी के राजग की नैया पर सवार होने से लोजपा के भीतर देखी जा रही है नाराजगी, दलित राजनीति पर हो सकती है टकराव की स्थिति

By एस पी सिन्हा | Published: September 3, 2020 06:29 PM2020-09-03T18:29:36+5:302020-09-03T18:29:36+5:30

राजग में रहते हुए चिराग पासवान को इतनी सीटें पार्टी के लिए मिलना संभव ही नहीं असंभव है. ऐसे में चिराग को नई रणनीति बनानी होगी.

Jitan Ram Manjhi's displeasure is seen within the LJP after riding on the NDA's Naiya, there may be a situation of confrontation over Dalit politics | जीतन राम मांझी के राजग की नैया पर सवार होने से लोजपा के भीतर देखी जा रही है नाराजगी, दलित राजनीति पर हो सकती है टकराव की स्थिति

जीतन राम मांझी (फाइल फोटो)

Highlightsलोजपा के रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान दलित के नेता के तौर पर जाने जाते रहे हैं.कई बार लोजपा की ओर से कहा गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी 119 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.जानकारी के अनुसार 7 दिसंबर को दिल्ली में लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक होने वाली है.

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के राजग में वापसी से एक ओर जहां जदयू और भाजपा खुश है तो दूसरी ओर लोजपा अंदर और बाहर दोनो तरफ से नाखुश नजर आ रही है. मांझी के एनडीए में अचानक प्रवेश से लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान नाराज हो गए हैं.

यह नाराजगी इस कदर हो गई है की वह जदयू के उम्मीदवारों के खिलाफ वह अपना उम्मीदवार भी उतारने का मन बनाने लगे हैं. इसको लेकर पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है.प्राप्त जानकारी के अनुसार 7 दिसंबर को दिल्ली में लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक होने वाली है.

बताया जा रहा है कि इस बैठक में राजग के साथ रिश्ते और जदयू से संबंधों को लेकर कोई बडा फैसला लिया जा सकता है. फिलहाल लोजपा का मानना है कि मांझी को राजग में लाना नीतीश कुमार का एकतरफा फैसला है. जदयू मांझी को अपने कोटे से सीटें देगी.

दरअसल, राजग के भीतर सबसे बडा सवाल यह उठने लगा है कि आखिर दलित की राजनीति करने वाला बडा राजनीतिक दल कौन है? कई बार लोजपा की ओर से कहा गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी 119 सीटों पर चुनाव लडने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर भी संसदीय दल की बैठक में कोई फैसला हो जाएगा.

राजग में रहते हुए चिराग पासवान को इतनी सीटें पार्टी के लिए मिलना संभव ही नहीं असंभव है. ऐसे में चिराग को नई रणनीति बनानी होगी. लोजपा के रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान दलित के नेता के तौर पर जाने जाते रहे हैं.

जिसके वोट बैंक का फायदा लोजपा के साथ साथ राजग को मिलता रहा है. लेकिन "हम" के शामिल होने से जीतन राम मांझी का दलित प्रेम भी शामिल हो गया है.सूत्रों की मानें तो लोजपा हम के शामिल होने पर शुरू से नाराज थी. चिराग पासवान ने पिछले कई राजनीतिक उठापटक के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछे हैं, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी रास नहीं आया.

वहीं, जदयू के कहने पर ही मांझी को राजग में शामिल करने की बात हुई. मांझी ने भी बयान देते हुए साफ कर दिया है कि वह जद यू की सहयोगी हैं. ऐसे में लोजपा और हम एक साथ कैसे राजग में रहेंगे? इस पर भी सियासत तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हम की राजग में वापसी के बाद गठबंधन के एक और सहयोगी दल लोजपा में हलचल तेज हो गई है.

जीतन राम मांझी के दोबारा राजग में शामिल होने के बाद लोजपा नाखुश है. इसकी मुख्य वजह यह है कि राजग में लोजपा मुख्यतः दलित राजनीति करती है. लेकिन अब मांझी के वापस राजग में शामिल होने से दलित वोट बैंक को लेकर लोजपा और हम में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.

Web Title: Jitan Ram Manjhi's displeasure is seen within the LJP after riding on the NDA's Naiya, there may be a situation of confrontation over Dalit politics

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