Lalu Yadav Vs Jitan Ram Manjhi: बिहार के नवादा जिले में लोगों के एक समूह द्वारा 34 घरों में आगजनी की घटना के बाद सियासी घमासान जारी है। राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और केंद्रीय मंत्री और हम के संरक्षक जीतन राम मांझी के बीच वार पलटवार जारी है। मांझी ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच हो। मांझी ने सख्त लहजे में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछा कि लालू जी पूछिए। आपको बता दें कि तेजस्वी ने जीतन राम मांझी को जीतन राम शर्मा कह दिया था। मांझी ने कहा कि तेजस्वी से पूछना चाहता हूं कि उनके पिता क्या हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तेजस्वी को पता नहीं है कि राजद प्रमुख लालू यादव किसके जन्मे हैं। वास्तव में लालू जी गड़ेरिया पिता के पुत्र हैं। वह यादव नहीं हैं। मांझी ने सोशल मीडिया पर लालू यादव पर पलटवार किया है। लिखा है कि लालू जी, हम मुसहर-भुईयां हैं, हमारे पिता मुसहर-भुईयां थे। हमारे दादा मुसहर-भुईयां थे। हमारे परदादा मुसहर-भुईयां थे। हमारा तो पुरा खानदान ही मुसहर-भुईयां है।
हम तो गर्व से कहते हैं कि “हम मुसहर,भुईयां हैं।” मांझी ने कहा कि विपक्षी दलों के गुंडे हमारे घर और दरवाजों को तोड़ सकते पर हमारे लोगों का हौसला नहीं तोड़ सकते। घर जलाने वाले लोगों के संरक्षक लालू पाल (गरेड़ी) जी आप राजनीति के लिए अपनी जाति छुपा सकते हैं पर हम नहीं। हम गर्व से कहते हैं “हम मुसहर हैं” लालू जी में हिम्मत है तो वह भी कहकर दिखाएं कि हम गरेड़ी हैं। लालू जी!
पूरे बिहार में दलितों के जमीन पर और मुसलमानों के क़ब्रिस्तानों पर किस पार्टी के समर्थकों का क़ब्जा रहा है यह सबको पता है। आपने और आपके लोगों ने बहुत दबा लिया हमलोगों को, अब करारा जवाब मिलेगा। केंद्रीय मंत्री और राजग के सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक मांझी ने नवादा के मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला इलाके का दौरा किया था।
केंद्रीय मंत्री ने नवादा के जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से भी मुलाकात की और पीड़ितों के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की। जांच में पता चला है कि इस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में भी भू-माफिया शामिल हैं। मैंने कई बार कहा है कि ऐसे मामलों में हमेशा राजद नेताओं की संलिप्तता पाई गई है। इस घटना की सीबीआई से जांच होनी चाहिए।
ताकि घटना में शामिल लोगों का पर्दाफाश हो और उन्हें सजा मिले। मैं मामले की सीबीआई जांच की मांग करता हूं। राज्य सरकार ने शुक्रवार को मुफ्फसिल थानाध्यक्ष (एसएचओ) को घटना के बाद ‘खुफिया जानकारी जुटाने’ में कथित विफलता के लिए तलब किया। जांच से संकेत मिलता है कि जमीन विवाद के कारण हिंसा भड़की होगी।
जांच में पता चला कि कुल 34 घरों में से 21 पूरी तरह से नष्ट हो गए और 13 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। जांच में यह भी पता चला कि जिन घरों में आग लगाई गई, उनमें से ज़्यादातर घर दलित आदिवासी समुदाय के लोगों के थे। मामला आर्म्स एक्ट और एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था।