झारखंड: सरकार गिराने की कहानी हवाला लेनदेन में गड़बड़ी को दूसरी दिशा में मोड़ने की साजिश!, पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल 

By एस पी सिन्हा | Updated: July 27, 2021 17:16 IST2021-07-27T17:11:17+5:302021-07-27T17:16:23+5:30

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति गर्म है। पुलिस के कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

jharkhand: story of toppling government Conspiracy to divert the disturbances in the hawala transaction in the other direction, questions are being raised on the working style of the police | झारखंड: सरकार गिराने की कहानी हवाला लेनदेन में गड़बड़ी को दूसरी दिशा में मोड़ने की साजिश!, पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल 

हेमंत सोरेन। (फाइल फोटो)

Highlightsझारखंड सरकार गिराने की कहानी हवाला लेनदेन में गड़बड़ी को दूसरी दिशा में मोड़ने की साजिश तो नहीं है। झारखंड में हवाला के मामले बड़े पैमाने पर होता है। खनिज संपदा की अवैध कमाई की हेराफेरी हवाला से ही होती है।जानकारों का कहना है कि पुलिस जिस इकबालिया बयान की बात कर रही है, वह पुलिस का पूरा हथकंडा रहा है। 

रांचीः झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति गर्म है। पुलिस के कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि झारखंड में विधायक क्या ऐसे हैं कि उन्हें कोई ठेका मजदूर और फल बेचने वाला भी प्रलोभन दे सकता है? वह भी उस विधायक को जिसका पारिवारिक इतिहास ही राजनीति में अपनी धमक रखता हो, ऐसे में पुलिसिया कार्रवाई किसी के गले नही उतर रही है 

जानकारों की अगर मानें तो पुलिस भी वही काम कर रही है जैसा कि हेमंत सोरेन सरकार की ओर से इशारा मिल रहा है। इसके पहले का भी इतिहास है कि पुलिस राजनेताओं कि इशारे पर काम करती है। जानकारों की अगर मानें तो झारखंड में हवाला का मामला बड़े पैमाने पर होता है और उसके पीछे कारण यह है कि यहां खनिज संपदा से होने वाली अवैध कमाई के पैसों की हेराफेरी हवाला के जरिये ही होती है। इस धंधे के दलदल में बड़ी-बड़ी हस्तियों के पैर फंसे हुए हैं। ऐसे में यह संभव है कि महाराष्ट्र से आये व्यवसायी से पैसों के लेनदेन में कहीं किसी प्रकार का टकराव हुआ हो? ऐसे में मामले का भंडाफोड़ होते देख सरकार के इशारे पर पुलिस के द्वारा इसे दूसरी दिशा में मोड़ दिया गया हो? 

कहा जा रहा है कि पुलिस वही काम कर रही है, जैसा कि सत्ता की ओर से इशारा मिल रहा है। मीडिया जगत से जुडे लोग भी निहित स्वार्थवश सच्चाई को सामने लाने से कतरा रहे हैं। उसका कारण यह है कि सरकार की कोप दृष्टि उनपर नही पड़े ताकि सरकार से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जायें। जबकि एक घराने का मामला यह है कि अभी हाल ही में पडे़ आयकर विभाग के छापे से वे लोग भाजपा से बौखलाये हुए हैं। ऐसे में वे उनको (भाजपा) कटघरे में खड़ा करने का कोई मौका गंवाना नही चाहते हैं, जिसके चलते हेमंत सोरेन सरकार जैसा चाहती है वहीं खबर प्रमुखता से लगाई जा रही है।

यहां उल्लेखनीय है कि झारखंड में पुलिस के सरकार के इशारे पर काम करने का यह कोई पहला मौका नही है। इसके पहले हार्स ट्रेडिंग मामले में राज्य के एडीजी अनुराग गुप्ता फंस चुके हैं। विशेष शाखा के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता पर वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में कांग्रेस की विधायक निर्मला देवी को पैसे का लालच देने का आरोप लगा था. भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड विकास मोर्चा की शिकायत पर इसकी जांच कराई थी। आयोग ने प्रथम दृष्ट्या आरोप को सही पाते हुए उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। ऐसे में अब इस बार भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये जा रहे हैं। 

सूत्रों की अगर मानें तो यह मामला विशुद्ध रूप से हवाला का प्रतीत होता है, जिसमें सत्ता में शामिल कई दिग्गजों की संलिप्तता हो सकती है। ऐसे में अगर आंच उन लोगों तक जाती तो संभव था कि राज्य की राजनीति में एक नया भूचाल आ जाता और सरकार अस्थिर हो सकती थी। ऐसे में इस मामले में नया मोड़ लाते हुए इसे सरकार के गिराने की ओर ले जाया गया है ताकि सरकार की छवि पर आंच भी नही आए और भाजपा को इस मुद्दे पर घेरा जा सके। इस मामले में गिरफ्तार अभिषेक दूबे इंजिनियरिंग की पढाई करके भी बेरोजगार है, जिसके चलते उसके इन धंधों से जुड़े होने की संभावना जताई जा रही है। संभव है कि खनिज संपदा के अवैध पैसों की हेराफेरी में वह दिग्गजों को मोहरा बनता हो। शायद यही कारण है कि उसके संपर्क बडे़-बड़े लोगों से हो सकते हैं, लेकिन सरकार गिराने और बनाने की हैसियत उसमें भी नही है। अगर ऐसा होता तो उसके रूतबे की चर्चा उसके गांव व मोहल्ले वालों से छिपी हुई नही रहती।

जानकार बताते हैं कि पुलिस ने जिन तीन लोगों को इस मामले में मोहरा बनाया है, उनकी हैसियत ऐसी नही है कि वे किसी विधायक से एक पैरवी कर कोई काम भी करा सकें। अगर ऐसा होता तो अमित सिंह बोकारो स्टील फैक्ट्री में बतौर ठेका मजदूर दिहाड़ी पर काम नही करता। घर वालों के अनुसार प्लांट में कार्यरत अमित को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया और फर्जी तरीके से यह बता दिया कि उसकी गिरफ्तारी रांची के एक होटल से हुई है। वहीं, निवारण महतो जो दुंदीबाद बाजार में कभी सब्जी तो कभी तारबूज बेचा करता है। ऐसे में सवाल यह भी उठाया जा रहा है क्या उसकी राजनीतिक हैसियत ऐसी है, जो सरकार गिराने और बनाने की हैसियत रखता हो?

वहीं पुलिस के तर्कों को अगर सही माना जाये तो फिर निवारण महतो ठेले पर फल और सब्जी क्यों बेचता रहा? निवारण के भाई अरुण का कहना है कि 22 तारीख की रात सेक्टर बारह, सिटी थाना पुलिस आवास से यह बोलकर ले गई कि पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा। वह सिटी थाना अपने भाई को खोजते हुए गए। यहां कुछ देर बाद अमित व उनके भाई को पुलिस अलग-अलग वाहनों में लेकर पहुंची। उन्हें अपने भाई से मिलवाया गया। यहां सीसीटीवी कैमरा भी लगा था। अगर कैमरे की फुटेज को खंगाला जाए तो इसमें स्पष्ट वह और उनके भाई के अलावा अमित दिख जाएगा। उनके भाई को बोकारो से गिरफ्तार कर पुलिस रांची ले गई और यहां यह कह दी कि एक होटल से उसे गिरफ्तार किया गया। बताया कि वह कमाने खाने वाले परिवार के लोग हैं। उनके भाई पर गलत आरोप लगा है। 

जानकारों का कहना है कि पुलिस जिस इकबालिया बयान की बात कर रही है, वह पुलिस का पूरा हथकंडा रहा है। अधिकतर मामलों में ऐसा देखा जाता रहा है कि पुलिस अपने डंडे के बल पर अच्छों-अच्छों से मन माफिक बयान दिलवाने में महारत हासिल रखती है। ऐसे में गिरफ्तार कर जेल भेजे गये तीनों आरोपियों ने जेल भेजे जाने से पहले कोतवाली पुलिस को स्वीकारोक्ति बयान दिया है। यह पुलिस का पुराना फंडा रहा है। पुलिस ने होटल ली-लैक से जय कुमार बेलखडे, मोहित भारतीय, अनिल कुमार, अभिषेक दुबे और आशुतोष ठक्कर के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाने का वीडियो फुटेज लिया है। इसमें महाराष्ट्र से आये लोग व अभिषेक दुबे के होटल ली-लैक में होने की पुष्टि मिली है। एक टीम दिल्ली व दूसरी टीम मुंबई गई हुई है। वहीं, इन आरोपितों की रांची में किसके साथ कब-कब बैठक हुई, मोबाइल पर कितनी बातचीत हुई, यह सब ब्यौरा निकाला जा रहा है।

 

Web Title: jharkhand: story of toppling government Conspiracy to divert the disturbances in the hawala transaction in the other direction, questions are being raised on the working style of the police

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