झारखंड के मुख्य न्यायाधीश धनबाद मामले में सीबीआई जांच की साप्ताहिक निगरानी करेंगे : उच्चतम न्यायालय
By भाषा | Updated: August 9, 2021 20:31 IST2021-08-09T20:31:29+5:302021-08-09T20:31:29+5:30

झारखंड के मुख्य न्यायाधीश धनबाद मामले में सीबीआई जांच की साप्ताहिक निगरानी करेंगे : उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली, नौ अगस्त उच्चतम न्यायालय ने धनबाद में 28 जुलाई को एक वाहन द्वारा एक न्यायाधीश को कथित रूप से कुचलने के मामले को ‘गंभीर’ बताते हुए सोमवार को कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सीबीआई जांच की प्रगति की साप्ताहिक निगरानी करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की सीलबंद रिपोर्ट में अधिक विवरण नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कहा कि वह उच्च न्यायालय में हर हफ्ते अपनी रिपोर्ट दाखिल करे जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ इसकी निगरानी करेगी।
शीर्ष अदालत ने देश में ‘‘खतरनाक स्थिति’’ का भी उल्लेख किया जहां न्यायिक अधिकारियों और वकीलों पर दबाव डाला जाता है और उन्हें धमकाया जाता है, और कहा कि संस्थागत तरीके से एक ऐसा माहौल बनाने की आवश्यकता है जहां न्यायिक अधिकारी सुरक्षित महसूस करें।
सीसीटीवी फुटेज में दिखा था कि धनबाद अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ जा रहे थे, तभी एक ऑटो रिक्शा उनकी ओर मुड़ा, उन्हें पीछे से टक्कर मारी और मौके से भाग गया। स्थानीय लोग उन्हें पास के अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘मामले की गंभीरता को देखते हुए हम सीबीआई को हर सप्ताह झारखंड उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं और मुख्य न्यायाधीश से जांच की निगरानी का आग्रह करते हैं।’’
झारखंड सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी है। पीठ ने कहा, ‘‘इस विशेष घटना के अलावा इस अदालत ने देश के उन मामलों का भी संज्ञान लिया है जहां न्यायिक अधिकारियों और वकीलों पर दबाव बनाया जाता है और धमकाया जाता है या उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों और वकीलों को मिलने वाली धमकियों से संबंधित बड़े पहलू को इस मुद्दे पर 2019 की लंबित याचिका के साथ उठाया जाएगा और आदेश दिया कि जवाब रिकॉर्ड पर रखे जाएं।
सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने न्यायाधीश की मौत मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल सीलबंद रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हमने रिपोर्ट देखी है। इस सीलबंद लिफाफे में कुछ भी नहीं है। हम कुछ ठोस चाहते हैं। गिरफ्तारियां और वाहन की जब्ती राज्य द्वारा की गई है, आपने मंशा के बारे में कुछ भी नहीं बताया है।’’
सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘एजेंसी को हाल ही में जांच सौंपी गई है और गिरफ्तार किए गए दो व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है। हम जांच के ब्योरे का खुलासा नहीं कर सकते हैं।’’ इसके बाद, पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख के बारे में जानकारी ली और मुख्य न्यायाधीश को मामले की सीबीआई जांच की साप्ताहिक निगरानी करने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने न्यायाधीशों को धमकी और अपशब्दों वाले संदेश मिलने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए छह अगस्त को कहा था कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) और सीबीआई न्यायपालिका की ‘‘बिल्कुल मदद नहीं’’ कर रही हैं और एक न्यायिक अधिकारी को ऐसी शिकायत करने की भी स्वतंत्रता नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़े कई आपराधिक मामले हैं और कुछ स्थानों पर, निचली अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को न केवल शारीरिक रूप नुकसान पहुंचाने की बल्कि व्हाट्सएप या फेसबुक पर अपशब्दों वाले संदेशों के माध्यम से धमकी देकर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई को धनबाद की इस "भयावह घटना" में न्यायाधीश के "दुर्भाग्यपूर्ण" "दुखद निधन" का स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से जांच पर एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
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