रांचीः झारखंड में आज अनूठा मामला सामने आया, जहां हेमंत सरकार के कार्यक्रम के चलते राजधानी रांची के अधिकतर निजी स्कूल बुधवार को बंद रहे। यहां यह भी कहा जा सकता है कि बच्चों की पढाई से ज्यादा अहमियत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यक्रम को दिया गया। ऐसा देश में शायद किसी राज्य का पहला कार्यक्रम रहा होगा, जहां सरकारी कार्यक्रम के चलते स्कूलों को बंद रखने के लिए बाध्य किया गया। दरअसल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को अपनी सरकार की प्रमुख योजना-झारखंड मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना (जेएमएमएसवाई) के तहत राज्य के दक्षिणी छोटानागपुर संभाग में लगभग तीन लाख लाभार्थियों के खातों में पहली किस्त हस्तांतरित किया। इसमें लाखों लाभार्थियों ने नामकुम के खोजाटोली स्थित प्रशिक्षण मैदान में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।
इन लाभार्थियों को राज्य के विभिन्न जिलों से ढोकर लाने के लिए करीब 2,000 बसों का इंतजाम किया गया था। इसी कार्यक्रम के लिए 3 सितंबर को ही प्रशासन ने निजी स्कूलों की बसों को ले लिया था। अधिकारियों ने 3 सितंबर को ही यह जानकारी निजी स्कूल प्रशासन को दे दी थी। इसके बाद एक निजी स्कूल द्वारा विद्यार्थियों को नोटिस भेजकर यह बता दिया गया था कि बसों के उपलब्ध नहीं होने के कारण 4 सितंबर को सभी कक्षाएं स्थगित रहेंगी। इसमें कहा गया था कि सभी बसें "सरकार की मैया सम्मान योजना" के लिए ले ली गई हैं।
जब बसें ही उपलब्ध नहीं थीं तो निजी स्कूल संचालकों ने स्कूलों को बंद रखना ही मुनासिब समझा। इसतरह बच्चों की पढ़ाई सरकारी कार्यक्रम की बलि बेदी पर चढने को बाध्य हुई। बता दें कि यह एक पखवाड़े में तीसरी बार रहा, जब स्कूलों पर किसी कार्यक्रम का असर पड़ा।
इससे पहले 21 अगस्त को भारत बंद और 23 अगस्त को भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की रैली के कारण भी बच्चों की पढ़ाई बाधित रही थी। इस बार तो रांची जिला प्रशासन ने बजाप्ता आदेश जारी कर बच्चों की पढाई को सरकारी सेवा के हवाले करने को बाध्य कर दिया। ऐसे में लोगों का कहना है कि हेमंत सरकार के लिए बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा महत्वपूर्ण अपनी सरकार की वाहवाही लूटवाना था।