झारखंड विधानसभा चुनाव: कई कांग्रेसी परिवार के लिए टिकट जुगाड़ने में लगे, पार्टी की नहीं चिंता!

By एस पी सिन्हा | Published: September 7, 2019 04:36 PM2019-09-07T16:36:27+5:302019-09-07T16:36:27+5:30

जानकारों की अगर मानें तो विधानसभा चुनाव की आहट मात्र से कई दिग्गज नेता अपने परिवार के लिए एंडी-चोटी का जोर लगाने लगे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय स्वयं एवं भाई के लिए हटिया सीट सुरक्षित कराना चाहते हैं. इसके लिए वह अपन अपुरा जोर लगाये हुए हैं. उसी तरह से गोपाल साहू स्वयं एवं भाई के लिए टिकट चाहते हैं.

Jharkhand Assembly Election 2019: Many Congressmen busy in collecting tickets for family | झारखंड विधानसभा चुनाव: कई कांग्रेसी परिवार के लिए टिकट जुगाड़ने में लगे, पार्टी की नहीं चिंता!

कांग्रेस पार्टी का झंडा। (फाइल फोटो)

झारखंड में विधानसभा चुनाव में चुनावी चक्रव्यूह को भेदने का दंभ भरने वाली कांग्रेस पार्टी में नेताओं की आपसी लड़ाई चरम पर है और शिकवे-शिकायतों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत कैसे निश्चित हो, इसके बदले सभी नेता एक दूसरे की कब्र खोदने में मशगूल दिख रहे हैं. ददई दुबे सरीखे नेताओं ने तो खुलकर नाराजगी व्यक्त कर दी थी तो रामेश्वर उरांव को प्रदेश का कमान थमा दिया गया. अब सुबोधकांत सहाय और कीर्ति झा आजाद भी खुश नहीं बताये जा रहे हैं. इस तरह मामला अब और आगे बढ़ता ही दिख रहा है. 

सूत्र बताते हैं कि यहां लड़ाई विधानसभा चुनाव में सीटों को अपने कब्जे में करने को लेकर है. पहले से जीतते रहे मठाधीश पार्टी में अपने परिजनों के लिए सीट सुनिश्चित करा लेना चाहते हैं और यह हिस्सेदारी लड़कर ही लेने पर आमदा हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में झारखंड से कांग्रेस के एक ही प्रत्याशी गीता कोड़ा को जीत मिली है और उसमें भी उनका अपना योगदान अधिक है. ऐसे में चर्चा है कि गीता कोड़ा अपने पति पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को विधानसभा का टिकट दिलवाना चाहती हैं और इसके लिए भी लॉबिंग कर रही हैं. उनके अलावा हारे हुए सभी नेता कुछ न कुछ हिस्सेदारी चाहते हैं.

विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बना रहा तो कांग्रेस के खाते में 20 से 25 सीटें आएंगी और इससे कहीं अधिक दावेदारी बड़े नेताओं के रिश्तेदारों की है. कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि वर्षों से झंडा ढोने वाले कार्यकर्ताओं के लिए जगह नहीं निकल पा रही है. यही कारण है कि चुनाव में मात होती है. कुछ महीनों पूर्व एक साधारण कार्यकर्ता नमन विक्सल कोंगाडी को सिमडेगा के कोलेबिरा से चुनाव लड़ाया गया तो उसने बड़े-बड़ों को मात दे दी. 

जानकारों की अगर मानें तो विधानसभा चुनाव की आहट मात्र से कई दिग्गज नेता अपने परिवार के लिए एंडी-चोटी का जोर लगाने लगे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय स्वयं एवं भाई के लिए हटिया सीट सुरक्षित कराना चाहते हैं. इसके लिए वह अपन अपुरा जोर लगाये हुए हैं. उसी तरह से गोपाल साहू स्वयं एवं भाई के लिए टिकट चाहते हैं. जबकि दोनों पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं. सुखदेव भगत स्वयं विधायक हैं और नगर परिषद अध्यक्ष पत्नी के लिए भी टिकट के इंतजाम में जी जान से जुटे हुए हैं. वहीं, गीताश्री उरांव स्वयं दावेदार हैं. जबकि पुलिस सेवा से आए अरुण उरांव भी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं. उसी तरह से राजेंद्र सिंह स्वयं एवं दोनों पुत्रों को टिकट दिलाना चाहते हैं. मन्नान मल्लिक स्वयं अथवा पुत्र के लिए धनबाद सीट से दावेदारी कर रहे हैं. जबकि पूर्व सांसद ददई दुबे खुद बोकारो तो पलामू के विश्रामपुर से बेटे के लिए टिकट चाहते हैं. 

वहीं, पूर्व सांसद फुरकान अंसारी स्वयं भी लड़ना चाहते हैं और पुत्र तो विधायक होने के कारण प्रबल दावेदार हैं हीं. आलमगीर आलम स्वयं एवं पुत्र के लिए लगे हुए हैं. उसी तरह से प्रदीप कुमार बलमुचू स्वयं एवं पुत्री के लिए टिकट की जुगाड़ में लगे हुए हैं. पुत्री को पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिलवा चुके हैं. तिलकधारी सिंह अपने पुत्र धनंजय के लिए प्रयासरत हैं. वहीं, समरेश सिंह की दोनों बहू कांग्रेस में शामिल हुई हैं, एक विधायक तो दूसरी निगम चुनाव लड़ने की आस में है. समरेश सिंह इसके लिए दिनरात प्रयासरत हैं. यह महज कुछ उदाहरणमात्र हैं. झारखंड में अधिकतर नेता अपनों के लिए टिकट की जुगाड़ में लगे हुए हैं.
 

Web Title: Jharkhand Assembly Election 2019: Many Congressmen busy in collecting tickets for family

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