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जम्मू-कश्मीर में लोगों ने मस्जिदों में अदा की नमाज, एक साथ बड़ी संख्या में जुटने पर रोक

By स्वाति सिंह | Updated: August 12, 2019 10:29 IST

कश्मीर घाटी में शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर इसमें ढील दी गई थी, लेकिन एक बार फिर श्रीनगर में एक जगह भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है।

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ठळक मुद्देप्रशासन ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए रविवार को श्रीनगर में धारा 144 लागू किया। प्रशासन ने लोगों को स्थानीय मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी।

जम्मू-कश्मीर में चल रहे कर्फ्यू के बीच लोगों ने मस्जिदों में नमाज अदा की। लेकिन इस मौके पर प्रशासन ने कई जगहों पर धारा 144 लगाया है। जिसके चलते एक जगह पर एक साथ बड़ी संख्या में दिखाई पड़ने से मनाही है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के अधिकतर इलाकों में  ईद की पूर्व संध्या पर प्रशासन ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए रविवार को श्रीनगर में धारा 144 लागू किया।

कश्मीर घाटी में शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर इसमें ढील दी गई थी, लेकिन एक बार फिर श्रीनगर में एक जगह भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को बताया कि सोमवार को ईद-उल-अजहा के मौके पर कश्मीर में लोगों को मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाएगी। मोबाइल और लैंडलाइन फोन पर लगी रोक भी यथाशीघ्र हटा ली जाएगी। 

अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर को बताया कि सरकार की पहली प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखना और किसी उपद्रव और जानमाल की हानि को रोकना है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन लगातार हालात की समीक्षा कर रहे हैं और वे लोगों को ईद पर मस्जिद में नमाज पढ़ने की सुविधा देंगे। 

प्रशासन ने शुक्रवार को लोगों को स्थानीय मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी। हालांकि, घाटी में बड़ी संख्या में लोगों के एक स्थान पर जमा होने की इजाजत नहीं दी गई। संचार संसाधनों पर रोक के बारे में पूछने पर अधिकारी ने कहा कि यह अस्थायी उपाय है, ताकि अफवाहों और गलत सूचनाओं को फैलने से रोका जा सके। 

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार जमीनी हालात को लेकर संवेदनशील है और लोगों को कम से कम असुविधा हो इसका ध्यान रख रही है। रोजाना या हर दूसरे दिन प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है। हम फोन पर से रोक हटाने का फैसला जितनी जल्दी संभव होगा, लेंगे।’’ 

अधिकारी ने कहा कि सभी फैसले केंद्र सरकार की ओर से नहीं लिए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन अपने स्तर पर जरूरत के हिसाब से कानून- व्यवस्था को लेकर फैसला ले रहा है।  

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