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TRF आतंकी संगठन की पूरी कहानी, जिसने ली है कश्मीर में बीजेपी नेताओं की हत्या की जिम्मेदारी

By विनीत कुमार | Updated: October 30, 2020 13:04 IST

जम्मू कश्मीर के कुलगामा जिले गुरुवार को तीन बीजेपी नेताओं के गोली मारकर हत्या करने की जिम्मेदारी TRF नाम के एक नए आतंकी संगठन ने ली है। यह इसी साल अस्तित्व में आया है। यह दरसअल लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा है।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर में टीआरएफ ने ली है बीजेपी के तीन नेताओं की हत्या की जिम्मेदारीपाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा है TRF, इसी साल इसका गठन हुआ

जम्मू कश्मीर के कुलगामा जिले में गुरुवार को आतंकवादियों ने बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकियों ने देर शाम कुलगाम जिले के वाई के पोरा इलाके में फिदा हुसैन, उमर हाजम एवं उमर राशीद बेग को गोली मारी। पीड़ितों को काजीगुंड के एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। ये नाम हाल-फिलहाल में ही चर्चा में आया है और  घाटी में आतंकी गतिविधियों में इसकी सक्रियता देखी जा रही है।

TRF क्या है, कब हुई इसकी शुरुआत

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार टीआरएफ दरअसल पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा है। इसी साल इसकी शुरुआत की गई है। बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद टीआरएफ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर हिंदी और अंग्रेजी में डाले संदेश में कहा कि ‘कब्रिस्तान भर जायेंगे।’ 

टीआरएफ ने इससे पहले 2 फरवरी को श्रीनगर के लाल चौक पर ग्रेनेड अटैक किया था। इस घटना में 4 नागरिक और दो सीआरपीफ जवान घायल हुए थे। 

इसके बाद एक अप्रैल से 4 अप्रैल के बीच कुपवाड़ा के केरन में पांच सैनिकों को शहीद कर ये और चर्चा में आया। सूत्रों के अनुसार लश्कर का टीआरएफ की शुरुआत का मकसद स्थानीय युवकों को आतंक की राह पर भेजने की कोशिश में तेजी लाना है।

कश्मीर में इस तरह नए आतंकी संगठनों के नामों आने का ट्रेंड पहले से है। वैसे जो भी नए संगठन आते हैं, वो कोई नए नहीं होते बल्कि जो मौजूदा आतंकी संगठन हैं, उनमें से ही लोग अलग-अलग नाम से ग्रुप बना लेते हैं। इंटेलिजेंस इनपुट के अनुसार लश्कर के टॉप तीन कमांडर अभी टीआरएफ को संभाल रहे हैं। इसमें दक्षिण कश्मीर में सज्जाद जट, मध्य कश्मीर में खालिद और नॉर्थ कश्मीर में हंजाला अदनान नियंत्रित कर रहा है।

आतंक को स्थानीय पहचान देने की पाकिस्तान की कोशिश

जानकार बताते हैं ये आतंकी संगठनों के बीच की विचारधारा की लड़ाई का नतीजा तो है। साथ ही विदेशी आतंकी या प्रो-पाकिस्तान आतंकी और स्थानीय आतंकियों के बीच के संघर्ष का भी नतीजा है। हाल में टीआरएफ ने बयान जारी कर हिजबुल मुजाहिद्दीन को चुनौती देते हुए कश्मीरी पुलिस वालों और नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाने की बात कही थी। 

सूत्रों के मुताबिक कश्मीर के लोग पाकिस्तानी और पाकिस्तान समर्थक आतंकियों से ऊब चुके हैं और इसलिए वह उनकी जानकारी भी सेना और प्रशासन से साझा करने लगे है। 

इसी को देखते हुए पाकिस्तान ने लश्कर के द्वारा एक वो संगठन बनाने की कोशिश की है जिसमें नाम स्थानीय युवकों का हो। भारत की ओर से कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद टीआरएफ के गठन में तेजी लाई गई। इसके जरिए पाकिस्तान की ये भी कोशिश है कि कश्मीर में आतंक को स्थानीय रूप दिया जाएगा ताकि वो भारत के खिलाफ अपने काले कारनामों को लेकर दुनिया की आंख में धूल झोंक सके। 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआतंकवादी
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