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राज्यसभा में 5 साल बाद दिखेंगे जम्मू-कश्मीर के सांसद?, शम्मी ओबेराय, सज्जाद अहमद किचलू, सत शर्मा और चौधरी मोहम्मद रमजान बनेंगे आवाज?

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: November 26, 2025 16:43 IST

शपथ समारोह लगभग पांच साल के गैप के बाद जम्मू कश्मीर के लिए राज्यसभा रिप्रेजेंटेशन की वापसी को अंकित करेगा।

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ठळक मुद्देपिछले महीने केंद्र शासित प्रदेश में पहले राज्यसभा चुनावों में चुना गया था।पुनर्गठन हुआ था और 2019 में आर्टिकल 370 हटाया गया था।भाजपा को एक सीट मिली, जिसके कैंडिडेट सत शर्मा पहले ही शपथ ले चुके हैं।

जम्मूः कश्मीरियों के लिए यह खुशी की बात हो सकती है कि पूरे पांच साल की ब्रेक के उपरांत 4 सांसद राज्यसभा में जम्मू कश्मीर का प्रतिनिधित्व करेंगें। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस के हाल ही में चुने गए तीन राज्यसभा सदस्य 1 दिसंबर को संसद के विंटर सेशन के पहले दिन शपथ लेंगे। मौजूद डिटेल्स के मुताबिक, तीन सांसद, शम्मी ओबेराय, सज्जाद अहमद किचलू और चौधरी मोहम्मद रमजान को वाइस-प्रेसिडेंट और राज्यसभा चेयरमैन सी पी राधाकृष्णन शपथ दिलाएंगे। शपथ समारोह लगभग पांच साल के गैप के बाद जम्मू कश्मीर के लिए राज्यसभा रिप्रेजेंटेशन की वापसी को अंकित करेगा।

इन नेताओं को पिछले महीने केंद्र शासित प्रदेश में पहले राज्यसभा चुनावों में चुना गया था, जब से पुराने राज्य का पुनर्गठन हुआ था और 2019 में आर्टिकल 370 हटाया गया था। चुनाव चार सीटों के लिए हुए थे, जिनमें से नेकां ने तीन जीतीं, जबकि भाजपा को एक सीट मिली, जिसके कैंडिडेट सत शर्मा पहले ही शपथ ले चुके हैं।

चौधरी मोहम्मद रमजान एक पूर्व मंत्री और मंत्रर हैं, जिन्होंने जम्मू और कश्मीर असेंबली में कई टर्म तक काम किया है। सज्जाद अहमद किचलू भी किश्तवाड़ से पूर्व मंत्री हैं, और पार्टी के ट्रेजरर शम्मी ओबेराय नेकां को रिप्रेजेंट करते हुए अपर हाउस में शामिल होंगे। जम्मू और कश्मीर के पिछले राज्यसभा सदस्यों ने 2 फरवरी, 2021 को अपना छह साल का टर्म पूरा कर लिया था।

इन सदस्यों में गुलाम नबी आजाद, नजीर अहमद लावे, फैयाज अहमद मीर और शमशेर सिंह मन्हास शामिल थे। उनकी सीटें खाली रहीं क्योंकि जम्मू और कश्मीर में चुनी हुई विधानसभा नहीं थी, जो संविधान के आर्टिकल 80 और रिप्रेजेंटेशन आफ द पीपल एक्ट, 1951 के तहत अपर हाउस के दो साल में एक बार होने वाले चुनाव कराने के लिए जरूरी है।

चुनाव और शपथ ग्रहण, जम्मू और कश्मीर के पालिटिकल स्ट्रक्चर में बदलाव के बाद पार्लियामेंट में उसके रिप्रेजेंटेशन को बहाल करने की दिशा में एक अहम कदम है। नए चुने गए सांसद अब राज्यसभा में जिम्मेदारियां संभालेंगे और विंटर सेशन के लेजिस्लेटिव काम में हिस्सा लेंगे।

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