जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने किए PSA के तहत पांच हिरासती आदेश रद्द, सरकार को फटकारा
By रामदीप मिश्रा | Updated: December 19, 2019 09:56 IST2019-12-19T09:56:53+5:302019-12-19T09:56:53+5:30
जम्मू-कश्मीर से पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। इस बीच राज्य की सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रशासन ने कई लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया था।

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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पिछले महीने में प्रशासन द्वारा कठोर लोक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत पारित आदेशों को रद्द कर दिया। प्रशासन ने व्यक्तियों को हिरासत में लेने का आधार नहीं बताया। कोर्ट ने हिरासत में लिए लिए गए युवकों का मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। सभी पांचों हिरासत में रखे गए युवकों को रिहा कर दिया गया है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि उसने संविधान के अनुच्छेद 22 (5) का उल्लंघन किया है। 5 अगस्त के बाद निवारक प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली कम से कम पांच बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं में अदालत का ये फैसला था। दरअसल, जम्मू-कश्मीर से पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। इस बीच राज्य की सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रशासन ने कई लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया था।
बता दें, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 10 दिसम्बर को पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए दो लोगों को रिहा करने का आदेश दिया था। अधिकारियों ने बताया था कि न्यायमूर्ति अली मोहमद मागरे ने सोपोर के मोहम्मद अशरफ गनी और श्रीनगर के इम्तियाज पहलु की पीएसए हिरासत रद्द कर दी। गनी को कथित तौर पर लकड़ी की तस्करी करने और पहलु को पत्थरबाजी में कथित संलिप्तता के मामले में पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने 1978 में यह कानून लागू किया था, जब वह मुख्यमंत्री थे। केन्द्र सरकार के जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद अब्दुल्ला के बेटे एवं तीन बार के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को विवादित लोक सुरक्षा कानून के तहत ही हिरासत में लिया गया था।