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इंटरनेशनल बॉर्डर पर बाड़ और सीमा चौकियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त, घुसपैठ का खतरा बढ़ा

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 3, 2025 11:33 IST

Jammu-Kashmir: अखनूर और बसंतर के विभिन्न हिस्सों से होकर बहने वाली चिनाब नदी और उसकी सहायक नदियां और सांबा में उसकी सहायक नदियां 26 अगस्त और उसके बाद के दिनों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

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Jammu-Kashmir:  जम्‍मू फ्रंटियर पर बीसियों स्‍थानों पर बाढ़ के पानी ने तारबंदी को जबरदस्‍त नुक्‍सान पहुंचाया है। बीएसएफ की कई सीमा चौकिआं अभी भी पानी में डूबी हुई हैं। लेकिन इसके बावजूद सीमा सुरक्षा बल ने हार नहीं मानी और कुदरती कहर के साथ ही दुश्‍मन के नापाक इरादों से निपटने को सीमा पर पीछे से कड़ी निगरानी रखकर और नावों के जरिए गश्त आरंभ की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाकिस्तान इस स्थिति का फायदा उठाकर घुसपैठियों को इस तरफ न भेज सके।

बीएसएफ के सूत्र कहते थे कि बाड़ और सीमा चौकियों को हुए नुकसान का तुरंत आकलन करना संभव नहीं है क्योंकि कई जगहों पर वे अभी भी पानी में डूबी हुई हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ज़्यादातर जगहों पर बाड़ और अग्रिम चौकियों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन चिनाब के कहर के कारण अखनूर के परगवाल द्वीप पर काफी नुकसान हुआ है।वे कहते थे कि बाढ़ का पानी कम होने पर बाड़ और सीमा चौकियों को हुए नुकसान का सही आकलन किया जाएगा क्योंकि फिलहाल कुछ इलाकों का दौरा करना संभव नहीं है।

इन सभी नुकसानों के बावजूद, सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए बीएसएफ द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गश्त और कड़ी निगरानी में कोई कमी नहीं की गई है।

बीएसएफ द्वारा सीमा पर गश्त के लिए हर संभव तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिसमें बाढ़ग्रस्त इलाकों से कुछ दूरी तक गश्त, कई जगहों पर नावों का इस्तेमाल, निगरानी कैमरे लगाना आदि शामिल हैं।

बीएसएफ के अधिकारी कहते थे कि पानी कम होने और बाड़ को हुए नुकसान का आकलन पूरा होने के बाद, जहां भी जरूरत होगी, नई बाड़ लगाने या मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा। जहां बाड़ की मरम्मत की जा सकती है, वहां काम तुरंत शुरू किया जाएगा और जहां नई बाड़ लगाने की ज़रूरत होगी, वहां औपचारिकताएं पूरी होने के बाद काम शुरू किया जाएगा।

याद रहे जम्मू, सांबा और कठुआ पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं और जम्मू क्षेत्र के अन्य जिलों के अलावा ये तीनों जिले भारी बारिश के कारण आई अचानक बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अखनूर और बसंतर के विभिन्न हिस्सों से होकर बहने वाली चिनाब नदी और उसकी सहायक नदियां और सांबा में उसकी सहायक नदियां 26 अगस्त और उसके बाद के दिनों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

इसके अलावा, जम्मू, सांबा और कठुआ में कई नाले उफान पर थे, जिससे बाड़ और सीमा चौकियों के अलावा सरकारी बुनियादी ढांचे और नागरिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ।

जबकि मानसून के प्रकोप से पहले ही, हीरानगर सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा और कठुआ जिले के कुछ अन्य इलाकों के अलावा पंजाब के पठानकोट जिले से घुसपैठ की कोशिशों की खबरें आती रही हैं।

टॅग्स :एलओसीजम्मू कश्मीरइनडो पाक
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