जम्मू-कश्मीर: कोरोना मामलों को लेकर कश्मीर के जिलों श्रीनगर और बारामुला में लगी है दौड़!
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 24, 2022 16:20 IST2022-08-24T16:18:35+5:302022-08-24T16:20:40+5:30
जबसे कश्मीर में कोरोना संक्रमितों के नए मामले सामने आने आरंभ हुए हैं, पहली बार बारामुला जिले ने श्रीनगर जिले से बाजी मार ली है। कोरोना के दो सालों में श्रीनगर जिला ही कोरोना पीड़ितों और मरने वालों की संख्या के मामले में सबसे ऊपर था। पर अब यह स्थान बारामुला जिले ने ले लिया है।

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
जम्मू: कश्मीर के जिलों में जिस प्रकार से कोरोना पीड़ितों के मामले बढ़ते जा रहे हैं उसको देख यही लगता है कि उनमें आपस में दौड़ लगी हुई है। यही कारण था कि जबसे कश्मीर में कोरोना संक्रमितों के मामले सामने आने आरंभ हुए हैं, पहली बार बारामुला जिले ने श्रीनगर जिले से बाजी मार ली है। अधिकारियों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में फिर से कोरोना मामले तेजी से बढ़े हैं। यह इसी से स्पष्ट है कि जुलाई के आखिरी सप्ताह के बाद 11400 ताजा मामले सामने आ चुके हैं। रिकार्ड के मुताबिक, अगस्त में ही कश्मीर के दस जिलों में 9420 मामले सामने आए हैं। जबकि जम्मू मंडल में संख्या लुढ़क कर 1989 तक सीमित हो गई है।
अभी तक का रिकार्ड यही रहा था कि कोरोना के दो सालों में श्रीनगर जिला ही कोरोना पीड़ितों और मरने वालों की संख्या को लेकर सबसे ऊपर था। पर अब यह स्थान बारामुला जिले ने छीन लिया है। अधिकारियों के मुताबिक, ताजा मामलों की बात करें तो 22 अगस्त तक बारामुला में 758 एक्टिव केस थे और श्रीनगर में 561 ही मामले सामने आए थे।
हालांकि इन मामलों को लेकर विशेषज्ञ कहते थे कि इसके पीछे कोई बड़ा कारण नहीं हो सकता बल्कि टेस्टिंग पर ज्यादा जोर दिए जाने के कारण ऐसे आंकड़े सामने आ ही जाते हैं। बारामुला मेडिकल कालेज के चीफ मेडिकल आफिसर डॉ. बशीर अहमद मलिक ने कहा था कि कि बारामुल्ला में टेस्टिंग बढ़ाई गई है जिस कारण ऐसे आंकड़े सामने आने स्वभाविक ही थे।
जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो श्रीनगर, बारामुला और अनंतनाग की जनसंख्या लगभग बराबर है पर अनंतनाग में मामले बहुत ही कम हैं। इस जिले में मात्र 91 मामले ही जुलाई के बाद से सामने आए हैं। अगर कोरोना के कारण होने वाली मौतों की बात की जाए तो अगस्त में हुई मौतों का आंकड़ा आठ है। जिनमें से 5 जम्मू में हुई हैं और 3 ही कश्मीर मंडल के खाते में हैं। हालांकि डाक्टरों का कहना था कि इस बार मामले अधिक गंभीर नहीं हैं।