हर बार आतंकवाद में नया मोड़ लाया है जैश-ए-मुहम्मद, कश्मीर में चार साल पहले हुआ था दावा, खत्म हो गया

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 29, 2020 16:48 IST2020-05-29T16:48:48+5:302020-05-29T16:48:48+5:30

सबसे भीषण और घातक मानव बम हमले के ठीक तीन साल पहले 14 फरवरी 2016 को सेना ने यह दावा किया था कि कश्मीर घाटी से जैश-ए-मुहम्मद का पूरी तरह से सफाया हो गया है। तत्कालीन जीओसी ले जनरल सतीश दुआ ने कहा था कि जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख आदिल पठान के मारे जाने के बाद घाटी से इस आतंकी संगठन का सफाया कर दिया गया है।

Jammu and Kashmir Pulwama: '400 CRPF personnel were target of Jaish-e-Mohammed' | हर बार आतंकवाद में नया मोड़ लाया है जैश-ए-मुहम्मद, कश्मीर में चार साल पहले हुआ था दावा, खत्म हो गया

हमलों में विदेशी आतंकियों का भी साथ रहा था लेकिन मुख्य भूमिका कश्मीरियों की रही थी। (file photo)

Highlightsलेथिपोरा में मानव बम का हमला कर 50 से अधिक जवानों को मार देने वाले जैश-ए-मुहम्मद ही ऐसा पहला आतंकी गुट था।पठानकोट एयरबेस तथा नगरोटा में 16वीं कोर के हेडर्क्वाटर पर हमला करने की ‘हिम्मत’ जुटा पाया था।

जम्मूः कश्मीर में चार साल पहले सेना की ओर से किए गए उस दावे की सत्यता आज भी शक के घेरे में है जिसमें कहा गया था कि कश्मीर से जैश-ए-मुहम्मद का सफाया पूरी तरह से कर दिया गया है।

पर पुलवामा, नगरोटा और पठानकोट एयरबेस पर हुए हमलों ने दावों को झूठला दिया है और इन हमलों से यह भी सच्चाई सामने आई है कि जैश-ए-मुहम्मद ने हर बार कश्मीर के आतंकवाद में नया मोड़ लाया है। चाहे इसमें मानव बमों के हमले हों, फिदायीनों के हमले हों और फौलादी स्टील की गोलियों का इस्तेमाल हो।

जानकारी के लिए पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा के लेथिपोरा में जैश-ए-मुहम्मद द्वारा किए गए आज तक के सबसे भीषण और घातक मानव बम हमले के ठीक तीन साल पहले 14 फरवरी 2016 को सेना ने यह दावा किया था कि कश्मीर घाटी से जैश-ए-मुहम्मद का पूरी तरह से सफाया हो गया है। तत्कालीन जीओसी ले जनरल सतीश दुआ ने कहा था कि जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख आदिल पठान के मारे जाने के बाद घाटी से इस आतंकी संगठन का सफाया कर दिया गया है।

पर ऐसा हुआ नहीं। जैश-ए-मुहम्मद ने उसके बाद पठानकोट एयरबेस, नगरोटा में 16वीं कोर के मुख्यालय और पिछले साल पुलवामा के लेथिपोरा में ही केरिपुब के ट्रेनिंग सेंटर पर हमला बोल कर यह दर्शाया था कि वह अभी भी कश्मीर में सक्रिय है चाहे सुरक्षा एजेंसियां उनके प्रति कोई भी दावे करती रहें।

इसे भी भूला नहीं जा सकता कि जैश-ए-मुहम्मद ने हर बार आतंकवाद को नया मोड़ दिया है। लेथिपोरा में मानव बम का हमला कर 50 से अधिक जवानों को मार देने वाले जैश-ए-मुहम्मद ही ऐसा पहला आतंकी गुट था जो पठानकोट एयरबेस तथा नगरोटा में 16वीं कोर के हेडर्क्वाटर पर हमला करने की ‘हिम्मत’ जुटा पाया था। हालांकि इन हमलों में विदेशी आतंकियों का भी साथ रहा था लेकिन मुख्य भूमिका कश्मीरियों की रही थी।

वर्ष 2018 में उसके फिदायीनों द्वारा स्टील की गोलियों का इस्तेमाल करने से सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ी थी क्योंकि यह कश्मीर के आतंकवाद में एक नया ही मोड़ था। ऐसी ही चिंता माहौल उस समय वर्ष 2000 के अप्रैल महीने में भी बना था जब पहली बार जैश-ए-मुहम्मद ने 13 साल के कश्मीरी युवक को मानव बम के तौर पर इस्तेमाल किया था।

यह सच है कि कश्मीर में मानव बम की शुरूआत जैश-ए-मुहम्मद ने ही की थी जिसे बाद में फिदायीन के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा था। कश्मीर में आतंकवाद से निपटने में जुटे सुरक्षाबल अभी मानव बमों और फिदायीनों से निपटने के तरीके खोज ही रहे थे कि जैश-ए-मुहम्मद ने 1 अक्तूबर 2001 को श्रीनगर मंे कश्मीर विधानसभा पर फिदायीन हमले के लिए विस्फोटकों से लदे ट्रक का इस्तेमाल कर आतंकवाद में फिर एक नया मोड़ ला दिया।

कश्मीर में ही नहीं बल्कि देश में भी आतंकवाद को नया रूख देने वाले जैश-ए-मुहम्मद ने संसद पर हमला कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। उसने बुलेट प्रूफ शीटों तथा बुलेट प्रूफ बंकरों को भेद्य कर यह दर्शाया था कि उसके फिदायीन कश्मीर में आतंकवाद को नया मोड़ देने में सक्षम हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir Pulwama: '400 CRPF personnel were target of Jaish-e-Mohammed'

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