जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के खिलाफ पुलिस की मुहिम से गुस्से का माहौल, जानिए मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 10, 2020 16:46 IST2020-07-10T16:46:27+5:302020-07-10T16:46:27+5:30

दो माह पहले पुलिस कश्मीर में कई पत्रकारों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामले दर्ज कर पत्रकार हल्के में तहलका मचा चुकी है। एक मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने पत्रकार गौहर गिलानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हुआ है। गिलानी पर सोशल मीडिया पर लिखी उनकी पोस्ट्स को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया।

Jammu and Kashmir Police campaign against journalists creates anger | जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के खिलाफ पुलिस की मुहिम से गुस्से का माहौल, जानिए मामला

‘द हिंदू’ अखबार के श्रीनगर संवाददाता पीरजादा आशिक के खिलाफ़ भी यूएपीए लगाया गया। (file photo)

Highlightsगिलानी पर आरोप लगाया गया कि उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स राष्ट्रीय एकता, अखंडता और भारत की सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं। पुलिस ने आरोप लगाया है कि श्रीनगर के निवासी गिलानी की गैर-क़ानूनी गतिविधियों और कश्मीर में आतंकवाद का महिमामंडन करने की वजह से राज्य की सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है।जम्मू कश्मीर की फोटोग्राफर मशरत जाहरा पर सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए लगाया गया था।

जम्मूः जम्मू कश्मीर में एक बार फिर पत्रकारों के खिलाफ पुलिस की मुहिम से गुस्से का माहौल है। ताजा घटना द कश्मीरवाला के संपादक फहद शाह के खिलाफ पुलिस को बदनाम करने के जारी समन हैं।

उन्हें पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था। इससे पूर्व दो माह पहले पुलिस कश्मीर में कई पत्रकारों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामले दर्ज कर पत्रकार हल्के में तहलका मचा चुकी है। एक मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने पत्रकार गौहर गिलानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हुआ है। गिलानी पर सोशल मीडिया पर लिखी उनकी पोस्ट्स को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया।

गिलानी पर आरोप लगाया गया कि उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स राष्ट्रीय एकता, अखंडता और भारत की सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं। पुलिस ने आरोप लगाया है कि श्रीनगर के निवासी गिलानी की गैर-क़ानूनी गतिविधियों और कश्मीर में आतंकवाद का महिमामंडन करने की वजह से राज्य की सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है।

यही नहीं जम्मू कश्मीर की फोटोग्राफर मशरत जाहरा पर सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए लगाया गया था। इसके अलावा ‘द हिंदू’ अखबार के श्रीनगर संवाददाता पीरजादा आशिक के खिलाफ़ भी यूएपीए लगाया गया।

मसरत जाहरा पिछले कई वर्षों से फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर कश्मीर में काम कर रही हैं। वो भारत और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कई संस्थानों के लिए काम कर चुकी हैं। वो ज्यादातर हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों पर रिपोर्ट करती रहीं हैं। अपने चार साल के करियर में उन्होंने आम कश्मीरियों पर हिंसा के प्रभाव को दिखाने की कोशिश की है।

एक अन्य मामले में पुलिस का दावा है कि उसे 19 अप्रैल को सूचना मिली कि शोपियां एनकाउंटर और उसके बाद के घटनाक्रमों पर पीरजादा आशिक नाम के पत्रकार द्वारा द हिंदू अखबार में ‘फेक न्यूज’ प्रकाशित किया जा रहा था। इस रिपोर्ट को लेकर ही दर्ज की गई एफआईआर के बाद बयान में पुलिस ने दावा किया कि न्यूज में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है और इस खबर से लोगों के मन में डर बैठ सकता है।

बयान में यह भी कहा गया कि खबर में पत्रकार ने जिला के अधिकारियों से इसकी पुष्टि नहीं कराई। इस पर आशिक ने कहा कि उन्होंने शोपियां के परिवार के इंटरव्यू के आधार पर खबर बनाई और उनके पास रिकॉर्डिंग है। उन्होंने यह भी दावा किया कि शोपियां के डीसी के आधिकारिक बयान के लिए एसएमएस, वाट्सएप और ट्विटर से संपर्क किया। उन्होंने हैरानी जताई कि उस खबर को फेक न्यूज करार दिया जा रहा है।

इन घटनाओं के बाद यह साफ हो जाता है कि जम्मू कश्मीर में पत्रकारों की आवाज को दबाया जा रहा है और इसीलिए उनके खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। राज्य की राजनीतिक पार्टी पीडीपी और पीपुल्स कांफ्रेंस ने पुलिस की इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। इसके साथ ही इस कार्रवाई को इसने कश्मीर में मीडिया को चुप कराने का खुला प्रयास बताया है।

वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कि जम्मू कश्मीर के पत्रकारों को दोधारी तलवार पर चलते हुए पत्रकारिता का अपना फर्ज निभाना पड़ रहा है। आतंकवाद के 32 सालों के इतिहास में पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब पत्रकार समुदाय आतंकियों और सरकार रूपी चक्की के दो पाटों में पिसता रहा है।

पर पिछले साल पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद अब फर्क इतना है कि दोधारी तलवार की दोनों की धारें सरकार की हैं जिसमें वह अब भयंकर कानूनों का इस्तेमाल कर पत्रकारों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है।

Web Title: Jammu and Kashmir Police campaign against journalists creates anger

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