जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटाने के 5 साल बाद भी हिंसा से नहीं मिली मुक्ति, सरकारी आंकड़े कर रहे पुष्टि

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 3, 2023 01:56 PM2023-08-03T13:56:45+5:302023-08-03T13:57:10+5:30

पुलिस द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि 2019 से लेकर 1 अगस्त 2023 तक के 5 साल के अरसे में कश्मीर ने 1277 मौतें देखी हैं। इनमें हालांकि सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही है।

Jammu and Kashmir: Even after 5 years of removal of Article 370, there is no freedom from violence | जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटाने के 5 साल बाद भी हिंसा से नहीं मिली मुक्ति, सरकारी आंकड़े कर रहे पुष्टि

प्रतिकात्मक तस्वीर

जम्मू: कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के 5 साल बीत जाने के बाद भी सूबे को हिंसा से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हिंसा में कमी जरूर आई  है पर तकरीबन हर दिन लोग एक मौत को देखने को मजबूर है। 

इसकी पुष्टि खुद सरकारी आंकड़े करते हैं। इस संबंध में इस बार पुलिस ने खुद आंकड़े जारी किए हैं। पुलिस द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि 2019 से लेकर 1 अगस्त 2023 तक के 5 साल के अरसे में कश्मीर ने 1277 मौतें देखी हैं।

इनमें हालांकि सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही है जिनके विरूद्ध कई तरह के ऑपरेशन चला उन्हें मैदान से भाग निकलने को मजबूर किया गया। आंकड़े कहते हैं कि 819 आतंकी इस अवधि में ढेर कर दिए गए। इसी अवधि में 222 सुरक्षाकर्मियों की भी जान गई है।

आतंकियों द्वारा नागरिकों को मारने का सिलसिला भी यथावत जारी है। हालांकि पुलिस के दावे के अनुसार, इस अवधि में कोई भी नागरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया के दौरान नहीं मारा गया बल्कि इन 5 सालों में जो 236 नागरिक मारे गए उन्हें आतंकियों ने ही मार डाला। 

इतना जरूर है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नगरिकों के साथ साथ हिन्दुओं पर भी हुए हैं, जो लगातार जारी हैं। पिछले साल पांच अगस्त की बरसी की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।

अगर इन आंकड़ों पर जाएं तो कश्मीर ने प्रतिदिन औसतन एक मौत देखी है और आतंकियों व अन्य मौतों के बीच 2:1 का अनुपात रहा है। इसके मायने ये हुए कि अगर दो आतंकी मारे गए तो एक सुरक्षाकर्मी व नागरिक भी मारा गया। 

पहले यह अनुपात 3: 2 का था। जबकि इस अवधि में प्रदेश में 614 आतंकी वारदातें हुई हैं जिनमें कुल 1277 मौतें हुई हैं। इतना जरूर है कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है। अब कश्मीर हाइब्रिड आतंकियों की फौज से जूझने को मजबूर है जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir: Even after 5 years of removal of Article 370, there is no freedom from violence

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