जामिया हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया? याचिकाकर्ताओं से कहा, पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 17, 2019 01:18 PM2019-12-17T13:18:23+5:302019-12-17T13:18:23+5:30
सोमवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “हम बस इतना चाहते हैं कि हिंसा बंद हो जानी चाहिए।”
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस के कथित अत्याचार संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया। सीजेआई एसए बोबडे ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते, आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए। वहीं जामिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के संगठन के वकील ने कहा, सुप्रीम कोर्ट को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।
Supreme Court during Jamia Millia Islamia/Aligarh Muslim University incidents case hearing: We do not have to intervene. It is a law & order problem, how did the buses burn? Why don’t you approach jurisdictional High Court? pic.twitter.com/pd28SLGBF7
— ANI (@ANI) December 17, 2019
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और उपद्रव पर सख्त रूप अपनाया और कहा था कि यह सब फौरन बंद होना चाहिए। सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर 17 दिसंबर को सुनवाई करने पर शीर्ष अदालत ने सहमति जताई लेकिन कहा कि वह हिंसा के ऐसे माहौल में इस मुद्दे पर सुनवाई नहीं करेगी।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “हम बस इतना चाहते हैं कि हिंसा बंद हो जानी चाहिए।” साथ ही पीठ ने कहा, “अगर प्रदर्शन एवं हिंसा हुई और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया तो हम इस मामले को नहीं सुनेंगे।” इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल थे। पीठ ने यह बात तब कही जब वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और कोलिन गोन्जाल्विस के नेतृत्व में वकीलों के एक समूह ने मामले को उसके समक्ष उठाया और प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर की गई कथित हिंसा का स्वत: संज्ञान लेने की अपील की। पीठ ने कहा, “हम सबकुछ निर्धारित करेंगे लेकिन हिंसा के इस माहौल में नहीं। यह क्या है? सरकारी संपत्तियों को बर्बाद किया जा रहा है, बसें जलाई जा रही हैं।”
वकीलों द्वारा इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए बार-बार कहने पर, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हम पर इस तरह से दबाव मत बनाइए। यह सारी हिंसा रुकनी चाहिए।” मामले का उल्लेख अदालत के सामने करते हुए, जयसिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत को देश भर के खास कर अलीगढ़ में छात्रों के खिलाफ की गई हिंसा का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने अदालत को बताया कि छात्रों के खिलाफ गंभीर हिंसा हुई है और उनमें से कई को टूटी हड्डियों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जयसिंह ने कहा कि जब जिला अदालत के परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी तब दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और आदेश पारित किया था। उन्होंने कहा, “कोई भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोक नहीं सकता। हम कोई उपद्रव नहीं चाहते हैं। ये उपद्रव छात्रों के खिलाफ जानबूझ कर किए गए हैं।” गोन्जाल्विस ने अदालत को बताया कि उन्होंने रविवार को अस्पताल और हिरासत कक्ष का दौरा किया था जहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों को पुलिस ने रखा था।
पीठ ने कहा, “हम बस यह कह रहे हैं कि यह उपद्रव रुकना चाहिए।” पीठ ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति को पुलिस को ही देखना होगा। उसने कहा, “लेकिन पहले हिंसा रोकिए। अगर आप इस तरह से सड़कों पर उतरेंगे तो हम आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं।” गोन्जाल्विस ने अदालत से कहा कि अदालत को एएमयू के कुलपति और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मुख्य प्रॉक्टर ने उनके परिसरों में हुई हिंसा को लेकर जो कुछ कहा, उस पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति एएमयू जाए और देखे कि वहां क्या हो रहा है।” इस पर पीठ ने कहा, “हम ऐसा करेंगे लेकिन वहां पहले शांति आने दीजिए। हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है।” साथ ही पीठ ने वकीलों से उनकी याचिकाएं दायर करने को कहा। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों और स्थानीय लोगों ने रविवार को दिल्ली के जामिया नगर में प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ झड़प के बाद चार बसों और दो पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश से पहले भीड़ को तितर-बितर करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके अलावा हिंसा में कथित तौर पर शामिल कई लोगों को हिरासत में ले लिया था।