काल्पनिक चरित्रों के लिए अभिनेताओं को जिम्मेदार ठहराना चितांजनक : फिल्म जगत से जुड़े लोग

By भाषा | Updated: January 29, 2021 15:21 IST2021-01-29T15:21:42+5:302021-01-29T15:21:42+5:30

It is alarming to blame actors for fictional characters: people associated with the film world | काल्पनिक चरित्रों के लिए अभिनेताओं को जिम्मेदार ठहराना चितांजनक : फिल्म जगत से जुड़े लोग

काल्पनिक चरित्रों के लिए अभिनेताओं को जिम्मेदार ठहराना चितांजनक : फिल्म जगत से जुड़े लोग

मुंबई, 29 जनवरी वेब सीरीज ‘तांडव’ के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले और टिप्पणी को लेकर फिल्म जगत से जुड़े कुछ लोगों ने चिंता जतायी है। न्यायालय ने कहा था कि अभिनेता दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली भूमिका नहीं निभा सकते।

‘तांडव’ के कई दृश्य पहले ही हटा दिए गए हैं। न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद बॉलीवुड की अधिकतर दिग्गज हस्तियों ने कोई टिप्पणी नहीं की। हालांकि हंसल मेहता, प्रीतीश नंदी ,कोंकणा सेन शर्मा और गुलशन देवैया सहित कुछ लोगों ने कला और कलाकार के बीच की रेखा धुंधली होने तथा इसके निहितार्थ की चर्चा की। कुछ लोगों ने सवाल किया कि पर्दे पर निभायी जाने वाली भूमिकाओं के लिए अभिनेताओं को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

कई लोगों ने सावधानीपूर्वक टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे अभिनेताओं की कानूनी परेशानी बढ़ सकती है जिनका काम विभिन्न प्रकार के चरित्रों को निभाना होता है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्देशक अली अब्बास जफर और अन्य को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से बुधवार को इनकार कर दिया था।

हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर ठेस पहुंचाने को लेकर वेब सीरीज के निर्देशक और अन्य ने उनके खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के अनुरोध को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘‘वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है’’ और यह कुछ पाबंदियों के अधीन है। न्यायालय ने कहा कि जफर, अमेज़ॅन प्राइम इंडिया की प्रमुख अपर्णा पुरोहित और निर्माता हिमांशु मेहरा, शो के लेखक गौरव सोलंकी और अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब वेब सीरीज के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकियों में संबद्ध अदालतों से जमानत का अनुरोध कर सकते हैं।

अयूब की ओर से पेश वकील ने वेब श्रृंखला के कथित आपत्तिजनक हिस्से का बचाव करते हुए कहा कि एक अभिनेता के रूप में, उनके द्वारा बोले गए संवादों पर उनका कोई कलात्मक नियंत्रण नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप पटकथा पढ़े बिना भूमिका नहीं निभा सकते। आप दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली भूमिका नहीं निभा सकते।’’

न्यायालय के आदेश की रिपोर्ट साझा करते हुए कोंकणा सेन शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘शो में शामिल लगभग सभी लोगों ने स्क्रिप्ट पढ़ी है और अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं? अब पूरी टीम गिरफ्तार करें?’’

पटकथा लेखक और गीतकार मयूर पुरी ने कहा कि किसी काल्पनिक चरित्र के लिए अभिनेता को जिम्मेदार ठहराना ‘हास्यास्पद’ है। पुरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि फैसले ने एक खतरनाक मिसाल कायम की है और इससे कला और कलाकार के बीच की रेखा धुंधला होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘... यह गल्प है। उस तर्क से आप कहेंगे कि अमरीश पुरी एक बुरे व्यक्ति थे। वह नहीं थे, उन्होंने सिर्फ उन पात्रों को निभाया। आप उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते। यह कानून की कठोर व्याख्या है, यह पूरी तरह से अवांछनीय है।’’

श्रेया धनवंतरी ने ट्वीट किया, ‘‘ अब से हमें ऐसे किरदार निभाने हैं जो वास्तव में हम हैं...।’’

फिल्मकार हंसल मेहता ने ट्विटर पर लिखा,‘‘ अर्णब या तांडव? कौन ज्यादा खतरनाक है?’’

उन्होंने लिखा,‘‘ दीप सिद्धू या मोहम्मद जीशान अयूब?’’

अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने तांडव पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर ट्वीट किया,‘‘ उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकताएं।’’

‘‘तांडव’’ में बॉलीवुड कलाकारों सैफ अली खान, डिपंल कपाड़िया और मोहम्मद जीशान अयूब आदि ने काम किया है।

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Web Title: It is alarming to blame actors for fictional characters: people associated with the film world

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