इसरो ने अंतरिक्ष मिशन 'एक्सपोसैट' का प्रक्षेपण किया, ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करेगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 1, 2024 09:56 AM2024-01-01T09:56:01+5:302024-01-01T09:58:36+5:30
एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट’ (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है।
Isro PSLV-C58 XPoSat Mission launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह समेत कुल 11 उपग्रहों को लेकर जा रहे एक पीएसएलवी रॉकेट का सोमवार को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किया गया। इसरो का पहला एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड ‘एक्सपोसैट’ और 10 अन्य उपग्रह लेकर गया है जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा। इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। उसने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा।
PSLV-C58 XPoSat Mission | ISRO launched X-Ray Polarimeter Satellite (XPoSat) from the first launch pad, SDSC-SHAR, Sriharikota in Andhra Pradesh.
— ANI (@ANI) January 1, 2024
According to ISRO, the performances of the first, second, third and fourth stages of the mission are normal. pic.twitter.com/hO1AjJQakZ
अक्टूबर में गगनयान परीक्षण यान ‘डी1 मिशन’ की सफलता के बाद यह प्रक्षेपण किया गया। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का होगा। न्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र से नए साल के पहले दिन सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर होने वाले प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती रविवार को शुरू हुई।
इसरो के अनुसार, एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट’ (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था।
#WATCH | On PSLV-C58 XPoSat mission, ISRO Chief S Somanath says "So 1, January 2024, yet another successful mission of PSLV has been accomplished..." pic.twitter.com/VwFCmRxvOU
— ANI (@ANI) January 1, 2024