बेंगलुरु, 16 मार्च हिन्द प्रशांत क्षेत्र में क्वाड देशों के बीच गहरे होते संबंधों के साथ ही भारत इस समूह के तीन अन्य देशों-अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ अंतरिक्ष संबंधों को भी मजबूत कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि ‘चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (क्वाड) की पिछले सप्ताह पहली डिजिटल शिखर बैठक हुई थी।
अधिकारियों ने कहा कि चारों देश कार्य समूहों की एक श्रृंखला स्थापित करना चाहते हैं जो जलवायु परिवर्तत; महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों तथा भविष्य की कुछ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को संयुक्त रूप से विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संयुक्त नासा-इसरो एसएआर (निसार) मिशन के तहत पिछले सप्ताह अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ‘जेट प्रपल्शन लैबोरैटरी’ के लिए एस-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) भेजा।
नासा के अनुसार ‘निसार’ ऐसा पहला उपग्रह मिशन होगा जिसमें दो विभिन्न रडार फ्रीक्वेंसी (एल-बैंड और एस-बैंड) इस्तेमाल की जाएंगी।
इस मिशन को 2022 में इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किए जाने का कार्यक्रम है।
वहीं, 11 मार्च को इसरो और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने पृथ्वी पर निगरानी, चंद्रमा संबंधी अभियानों और उपग्रह दिशा-निर्देशन में जारी अपने सहयोग की समीक्षा की।
इसरो और जाक्सा ने 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अन्वेषण कार्य के लिए संयुक्त चंद्र ध्रुव अन्वेषण मिशन की योजना बनाई है।
इसके साथ ही फरवरी में, इसरो और ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी एएसए ने नागरिक अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं शिक्षा में सहयोग के लिए 2012 के अंतर सरकारी एमओयू में संशोधन पर हस्ताक्षर किए थे।
इस तरह क्वाड देश हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को विस्तारित करने के साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र में भी अपने संबंधों को मजबूत करने के काम में लगे हैं।
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