नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बीते गुरुवार को एक नई उपलब्धि प्राप्त कर ली है, जब उसने एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तकनीक से बने तरल रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण किया। भारतीय स्पेस एजेंसी के अनुसार, यह परीक्षण के दौरान 665 सेकेंड तक चला और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के ऊपरी चरण से पीएस4 इंजन का उपयोग किया गया। यह 'इसरो का वर्कहॉर्स' है, जिसके पास निम्न स्तर पर उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षाएं में पहुंचाने का एक शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है।
PS4 इंजन पारंपरिक तौर पर मशीनिंग और वेल्डिंग के जरिए तैयार होता है, PSLV रॉकेट के चौथे चरण को शक्ति देने में महत्वपूर्ण रहा है, जिसमें 7.33 kN का वैक्यूम थ्रस्ट है। पीएस4 इंजन PSLV पर पेलोड को उनकी कक्षाओं में सटीक रूप से तैनात करने में एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है। आजकल, स्पेस एजेंसी कई मिशन के लिए इसे एक विश्वसनीय कक्षीय तक पहुंचाने में तेजी से उपयोग किया जा रहा है।
PSLV की पहले चरण में इस्तेमाल होने वाली सिस्टम को कंट्रोल में भी इसी इंजन का इस्तेमाल कर रहा है। तरल प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर(LPSC) द्वारा विकसित, इंजन पृथ्वी-स्टोरेबल बाइप्रोपेलेंट संयोजन पर काम करता है, जिसमें नाइट्रोजन टेट्रोक्साइड को ऑक्सीडाइजर के रूप में और मोनो मिथाइल हाइड्रोजन को दबाव-आधारित मोड में ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
इसरो 3-डी प्रिंटिंग इंजन आखिर क्यों, जानें-इंजन में लगने वाले हिस्से में 14 से सिंगल पीस में हुआ और इससे कमी भी आई-इसके अतिरिक्त, नए डिजाइन में 19 वेल्ड जोड़ को हटा दिया-रीडिजाइन के परिणामस्वरूप प्रति इंजन कच्चे माल के उपयोग में काफी बचत होती है-विशेष रूप से यह पारंपरिक विनिर्माण प्रक्रियाओं में फोर्जिंग और शीट के लिए धातु पाउडर के उपयोग को 13.7 किलोग्राम से घटाकर 565 किलोग्राम कर देता है।-इसके अलावा, रीडिजाइन के कारण कुल उत्पादन समय 60 प्रतिशत कम हो गया है