मेंगलुरु, सात नवंबर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने शनिवार को स्नातकों से जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक आपदाओं की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए आगे आने एवं ऐसी रणनीतियां बनाने का आह्वान किया जिससे मानवजाति इस अप्रत्याशित घटनाक्रम को लेकर अपने आप को ढाल सके।
सिवन ने एनआईटी-के के 19 वें दीक्षांत समारेाह को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों से जूझ रही है जो भविष्य में धरती का चेहरा बदल सकती है और अंतत: हमारे जीव पर असर डालेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ भावी पीढ़ी के सामने इस बदलते परिदृश्य में अपने आप को बनाये रखने की चुनौती है। ’’ उन्होंने कहा कि अभियांत्रिकी स्नातकों के लिए उद्यमिता आजमाने के विपुल अवसर हैं तथा स्टार्ट-अप कारोबार शुरू करने के लिए प्रचुर संभावनाएं खुल रही हैं।
सिवन ने कहा कि भारत में स्टार्ट-अप का दौर चल रहा है तथा कई पेशेवर अच्छी खासी तनख्वाह वाली नौकरियां छोड़ रहे हैं एवं स्टार्ट-अप के जरिए घरेलू उपभोक्ताओं की मांग पर कदम उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर’ भारत के तहत अंतरिक्ष विभाग सुधार से गुजर रहा है तथा सरकार अंतरिक्ष के क्षेत्र में सुधार के माध्यम से और राजस्व पैदा करने के लिए अंतरिक्ष उद्योग के अनुकूल वातावरण बनाना चाहती है।
उन्होंने स्नातकों से दूसरों की नकल करने के बजाय अपने मन की बात सुनने और उसे चुनने का आह्वान किया और कहा कि इससे पेशेवर जीवन में उत्कृष्टता सुनिश्चित होगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि एनआईटी-के ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन के लिए एक समिति बनायी है और एनईपी की कुछ बातें 2021-22 के दौरान पाठ्यक्रम में शामिल भी की जा रही है।
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