अपने पूर्व निदेशकों के विरूद्ध सीबीआई का जांच करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन : अदालत

By भाषा | Published: November 17, 2020 08:30 PM2020-11-17T20:30:10+5:302020-11-17T20:30:10+5:30

Investigating CBI against its former directors violates the principle of natural justice: court | अपने पूर्व निदेशकों के विरूद्ध सीबीआई का जांच करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन : अदालत

अपने पूर्व निदेशकों के विरूद्ध सीबीआई का जांच करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन : अदालत

नयी दिल्ली, 17 ननवंबर दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में अपने ही पूर्व निदेशकों की जांच करना ‘नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन’ है। इसी के साथ अदालत ने जांच की धीमी गति को लेकर जांच एजेंसी की खिंचाई भी की।

सीबीआई को तब अदालत की फटकार लगी जब उसके सरकारी वकील ने जांच के लिए और वक्त मांगा।

विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने विवादास्पद मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में यह टिप्पणी की। इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशक-- रंजीत सिन्हा और ए पी सिंह भी जांच के दायरे में हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ चार साल गुजर गये। इन चार वर्षों में कोई जांच नहीं की गयी। आप और कितने साल लेंगे? सात या दस साल?’’

अदालत ने कहा, ‘‘ सीबीआई निदेशक आरोपी हैं और एजेंसी इस मामले की खुद ही जांच कर रही है? मैं चकित हूं। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।’’

जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि हाल के उसके चार आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है।

इसके बाद निचली अदालत ने 24 नवंबर तक के लिये मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

सीबीआई ने 2017 में कुरैशी के खिलाफ कथित रिश्वतखोरी का यह मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान सिन्हा और सिंह के नाम भी सामने आये, ऐसे में उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।

कुरैशी पर व्यक्तियों से सीधे या हैदराबाद के व्यापारी सतीश सना बाबू के माध्यम से पैसे वसूलने और सीबीआई जांच को प्रभावित करने के लिए उसका इस्तेमाल करने का आरोप है।

पिछली कुछ सुनवाइयों के दौरान अदालत ने इस मामले की जांच में प्रगति नहीं होने को लेकर सीबीआई की खिंचाई की और उससे कई सवाल पूछे। उसने जांच एजेंसी से जांच की स्थिति रिपोर्ट भी देने को कहा था था।

इसके अलावा अदालत ने संयुक्त निदेशक को 17 नवंबर को पेशी के लिए बुलाया था लेकिन वह पेश नहीं हुए। संयुक्त निदेशक ही कुरैशी के खिलाफ जांच की अगुवाई कर रहे हैं।

न्यायाधीश ने दो पूर्व सीबीआई निदेशकों से पूछताछ नहीं करने को लेकर भी सीबीआई की खिंचाई की थी। अदालत ने सवाल किया था कि क्यों सीबीआई उनकी भूमिकाओं से जुड़े इस मामले की जांच से अपने पैर पीछे क्यों खींच रही है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वह उनके संदर्भ में जांच करने में इच्छुक नहीं है।

जांच एजेंसी से यह भी पूछा गया था कि क्या उसके अन्य पूर्व निदेशक आलोक वर्मा की कथित भूमिका की जांच की जा रही है। वर्मा ने अपने कार्यकाल में जांच में कथित रूप से रोड़ा अटकाया या जांच को तार्किक परिणति तक पहुंचने नहीं दिया।

सीबीआई ने अदालत में कहा था कि 544 दस्तावेज इकट्ठा किये गये और 63 गवाहों का परीक्षण किया गया।

जब एजेंसी से अदालत ने पूछा था कि उन लोक सेवकों के विरूद्ध क्या कार्रवाई की गयी जिनके लिए कुरैशी कथित रूप से बिचौलियों का काम कर रहा था, तब एजेंसी ने कहा था कि जांच चल रही है और ऐसे लोक सेवकों की भूमिका की पड़ताल की जा रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Investigating CBI against its former directors violates the principle of natural justice: court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे