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मजदूर दिवस: घर से दूर भारत के मजदूर, लॉकडाउन में फंसे हैं लाखों अप्रवासी कामगार

By निखिल वर्मा | Updated: May 1, 2020 09:01 IST

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ जो तीन मई 2020 तक जारी रहेगा. कोरोना वायरस महामारी का सबसे बुरा असर भारत में लाखों अप्रवासी कामगारों पर पड़ा है जो दो जून की रोटी के लिए अपने घर से दूर विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं. 1 मई को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. पढ़िए लॉकडाउन में भारत में मजदूरों की दशा...

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ठळक मुद्देलॉकडाउन के दौरान लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि अपने घऱ जा रहे हैं मजदूरों को पुलिस ने पकड़ा है.भारत में लॉकडाउन की सबसे बुरी तस्वीर तब सामने आई जब हजारों लोग कंधे पर सामान टांगे पैदल ही घर की ओर चल पड़े

भारत में कोरोना वायरस (Covid-19) के प्रसार रोकने के लिए 3 मई तक जारी लॉकडाउन में काम ठप हो जाने की वजह से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस के चलते भारत में 25 मार्च में ही रेलवे की यात्री सेवाएं और परिवहन सेवाएं रद्द हैं। अपने गांवों को छोड़कर दूसरे राज्यों में कमाने गए प्रवासी मजदूर बस-रेल ठप होने से और काम नहीं मिलने के कारण बड़ी मुश्किल से अपने जीवन का गुजारा कर रहे हैं। इन मजदूरों का रोजगार और पैसा खत्म हो चुका हैं और भविष्य अनिश्चतता के अंधेरे में है। 

मजदूरों के संकट पर केंद्र सरकार ने 29 अप्रैल को सुध ली और कोरोना लॉकडाउन के दौरान देश भर में फंसे लाखों लोगों को राहत देने जा रही है। गृह मंत्रालय के ताजा आदेश के बाद अब अन्य राज्य में फंसे मजदूर, विद्यार्थी, तीर्थयात्री और पर्यटक जल्द ही अपने घर तक पहुंच सकेंगे। गृह मंत्रालय ने राज्यों को फंसे लोगों को लाने और ले जाने की व्यवस्था के लिए सीमित पाबंदियों के साथ गाइडलाइंस जारी किया है।

केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक, लोगों की आवाजाही के लिए बसों का उपयोग किया जा सकेगा। बसों को सैनिटाइज करने के बाद उसमें सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के मुताबिक ही लोगों को बिठाया जाएगा। कोई भी राज्य इन बसों को अपनी सीमा में प्रवेश करने से नहीं रोकेगा और उन्हें गुजरने की अनुमति देगा। घर पर पहुंचने के बाद लोगों की लोकल हेल्थ आथॉरिटीज की ओर से जांच की जाएगी।

हजारों लोग पैदल ही चले घरों की ओर

लॉकडाउन के दौरान कई ऐसी तस्वीरें और खबरें आई जब लोग अपने छोटे बच्चों को कंधे पर उठाए पैदल ही हजारों किलोमीटर के सफर पर निकल गए। कोरोना संकट के बीच इन कामगारों के पास ना खाने के लिए पैसे बचे थे और ना करने के लिए काम। इस संकट में उन्हें सिर्फ अपने घर का रास्ता ही याद आया। ऐसी भी रिपोर्टें आईं जब घर पहुंचे या पहुंचने के दौरान कुछ लोगों की मौत हो गई।

दिल्ली और मुंबई में उमड़ी मजदूरों की भीड़

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में लॉकडाउन के दौरान सिर्फ अफवाह के चलते हजारों मजदूर बस अड्डा और रेलवे स्टेशन में जमा हो गए थे। 14 अप्रैल को मुंबई के ब्रांदा में मजदूरों के भारी भीड़ जुटी थी जिसमें ज्यादातर लोग दूसरे राज्यों के प्रवासी कामगार थे। मजदूरों की शिकायत थी कि उन्हें यहां खाने-पीने की समस्या हो रही है इसलिए ये अपने घर जाना चाहते हैं। इसी तरह मार्च के आखिरी सप्ताह में दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर यकायक हजारों मजदूर घर के जाने के लिए जमा हो गए थे। 

भारत में 90 फीसदी कामगार असंगठित क्षेत्र के

भारत में कामगारों की 90 फीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र हैं। इनकी संख्या करीब 42 करोड़ है। इनमें से लाखों मजदूर ऐसे हैं जो हर दिन ना कमाएं तो उनके भूखे मरने की नौबत आ सकती है। ये मजदूर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, नोएडा, गुड़गांव जैसे बड़े शहरों में अपने घर से दूर काम करने आते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में 40 करोड़ गरीब लोग गरीबी में फंस सकते हैं।

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