प्रीमियम भुगतान नहीं होने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर बीमा दावा खारिज किया जा सकता है: न्यायालय

By भाषा | Updated: November 1, 2021 18:06 IST2021-11-01T18:06:00+5:302021-11-01T18:06:00+5:30

Insurance claim can be dismissed on expiry of policy term due to non-payment of premium: Court | प्रीमियम भुगतान नहीं होने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर बीमा दावा खारिज किया जा सकता है: न्यायालय

प्रीमियम भुगतान नहीं होने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर बीमा दावा खारिज किया जा सकता है: न्यायालय

नयी दिल्ली, एक नवम्बर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं करने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने किया गया दावा खारिज किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश को खारिज करते हुए की, जिसमें सड़क दुर्घटना के मामले में अतिरिक्त मुआवजे का आदेश दिया गया था।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यह एक अच्छी तरह से स्थापित कानूनी स्थिति है कि जिस व्यक्ति का बीमा हुआ है उसका बीमा के अनुबंध में अच्छे विश्वास होने की जरूरत होती है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि बीमा पॉलिसी की शर्तों को अच्छी तरह से समझा जाना चाहिए और पॉलिसी की शर्तों की व्याख्या करते हुए अनुबंध को फिर से लिखने की अनुमति नहीं है।’’

शीर्ष अदालत एनसीडीआरसी के फैसले के खिलाफ जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने राज्य आयोग का आदेश रद्द कर दिया था।

मामले में महिला के पति ने जीवन बीमा निगम से जीवन सुरक्षा योजना के तहत 3.75 लाख रुपये की जीवन बीमा पॉलिसी ली थी। इसके तहत दुर्घटना से मृत्यु होने की स्थिति में एलआईसी द्वारा 3.75 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाना था।

उक्त पॉलिसी के बीमा प्रीमियम का भुगतान प्रत्येक छ: माह में किया जाना था, लेकिन भुगतान में चूक हुई।

छह मार्च 2012 को, शिकायतकर्ता का पति एक दुर्घटना में घायल हो गया और 21 मार्च, 2012 को उसकी मृत्यु हो गई।

पति की मृत्यु के बाद शिकायतकर्ता ने एलआईसी के समक्ष दावा दायर किया और उसे 3.75 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया। हालांकि, 3.75 लाख रुपये के दुर्घटना दावा लाभ की अतिरिक्त राशि से वंचित कर दिया गया।

इसलिए, शिकायतकर्ता ने दुर्घटना दावा लाभ के लिए उक्त राशि का अनुरोध करते हुए शिकायत के साथ जिला फोरम का दरवाजा खटखटाया। जिला फोरम ने महिला की अपील को स्वीकार करते हुए दुर्घटना दावा लाभ के लिए 3.75 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि के भुगतान करने का निर्देश दिया।

राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने उस आदेश को रद्द कर दिया जिसे राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में चुनौती दी गई। एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया था।

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