अरुणाचल प्रदेश में सैनिकों की त्वरित तैनाती के लिए भारत बड़े स्तर पर कर रहा अवसंरचना विकास

By भाषा | Updated: October 18, 2021 22:16 IST2021-10-18T22:16:25+5:302021-10-18T22:16:25+5:30

India is doing massive infrastructure development for quick deployment of troops in Arunachal Pradesh | अरुणाचल प्रदेश में सैनिकों की त्वरित तैनाती के लिए भारत बड़े स्तर पर कर रहा अवसंरचना विकास

अरुणाचल प्रदेश में सैनिकों की त्वरित तैनाती के लिए भारत बड़े स्तर पर कर रहा अवसंरचना विकास

(मानस प्रतिम भुइयां)

रूपा (अरुणाचल प्रदेश) पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के क्रम में भारत लगभग 1,350 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अरुणाचल प्रदेश में कनेक्टिविटी को मजबूत करने और उच्च प्रौद्योगिकी युक्त निगरानी प्रणाली के इस्तेमाल के लिए बड़े स्तर पर अवसंरचना विकास कर रहा है।

अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि बड़ी योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगभग 20 पुलों, कई सुरंगों, एयरबेस और कई प्रमुख सड़कों का विकास किया जा रहा है ताकि समग्र सैन्य तैयारियों को मजबूत किया जा सके।

इस संबंध में 5-माउंटेन डिवीजन के जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग मेजर जनरल जुबिन ए मिनवाला ने कहा कि युद्ध के मैदान में अधिक पारदर्शिता उत्पन्न करने के लिए सड़कों के बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उच्च तकनीक वाले निगरानी उपकरणों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

बुम ला से लेकर भूटान के पश्चिम तक के क्षेत्रों पर निगरानी रखने का दायित्व 5-माउंटेन डिवीजन के पास है और इसे भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक माना जाता है।

मेजर जनरल मिनवाला ने सैन्य तैयारियों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए पत्रकारों के एक समूह से कहा, ‘‘शत्रु अब हमें आश्चर्यचकित नहीं कर सकता। हमें विश्वास है कि हमारा लक्ष्य क्या है और हम उनसे आश्चर्यचकित नहीं होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए विश्वास का दृष्टिकोण रखते हैं। भारतीय सेना का ध्यान भूमि की संप्रभुता बनाए रखने पर रहा है।’’

अधिकारी ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर "अत्यधिक जोर" दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘(सैनिकों की) तैनाती में ऐसी कोई वृद्धि नहीं हुई है। हम प्रौद्योगिकी के माध्यम से (युद्धक्षेत्र में) अधिक पारदर्शिता उत्पन्न कर रहे हैं। हम पूरी स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’

मेजर जनरल मिनवाला ने कहा कि सड़क संपर्क के अलावा, निगरानी के लिए उच्च तकनीक वाले उपकरणों के उपयोग और सैन्य उड्डयन परिसंपत्ति को बढ़ाने पर व्यापक जोर दिया गया है ताकि वे "शक्ति गुणक" के रूप में कार्य कर सकें।

उन्होंने कहा, "हम बुनियादी ढांचे के मामले में प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं के अपने माध्यम से क्षमताओं को बढ़ाने के मामले में और अधिक जोर दे रहे हैं।"

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के प्रति भारत का समग्र दृष्टिकोण प्रतिक्रियावादी है, उन्होंने कहा, "हम प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। हमारी अपनी योजनाएं हैं और क्षमता निर्माण के मामले में अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने को लेकर आश्वस्त हैं।"

सीमा सड़क संगठन के इंजीनियर अनंत कुमार सिंह ने कहा कि कई प्रमुख सड़कों और सुरंगों के अलावा लगभग 20 पुलों का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि नेचिफू और सेला दर्रे में सुरंगें अगले साल अगस्त में पूरी होने की निर्धारित समयसीमा से काफी पहले तैयार हो जाएंगी।

प्रमुख सड़क परियोजनाओं में टेंगा के पास जीरो पॉइंट से ईटानगर तक एक सड़क का निर्माण और शेरगांव से तवांग तक ‘वेस्टर्न एक्सिस रोड' का निर्माण शामिल है।

सिंह ने कहा, "ये दो सड़कें समग्र क्षमता वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होंगी।"

पिछले साल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारत ने सामरिक लाभ हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के साथ ही एलएसी पर सैनिकों की समग्र तैनाती तेज कर दी थी।

सेना दूर से संचालित विमानों के बेड़े का उपयोग कर क्षेत्र में एलएसी पर दिन और रात निगरानी भी कर रही है।

इज़राइल निर्मित हेरॉन ड्रोन का एक बड़ा बेड़ा पर्वतीय क्षेत्र में एलएसी पर चौबीसों घंटे निगरानी कर रहा है और कमान एवं नियंत्रण केंद्रों को महत्वपूर्ण डेटा एवं चित्र भेज रहा है।

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