India-China relations: 5 साल बाद चीन जा रहे विदेश मंत्री जयशंकर, चीनी दूतावास ने कहा-दलाई लामा और तिब्बत ‘कांटा’, ‘बोझ’ बने

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 13, 2025 22:27 IST2025-07-13T22:25:53+5:302025-07-13T22:27:15+5:30

India-China relations: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में आए गंभीर तनाव के बाद यह जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी।

India-China relations Foreign Minister S Jaishankar going to China after 5 years Chinese Embassy said Dalai Lama and Tibet have become 'thorn' and 'burden' | India-China relations: 5 साल बाद चीन जा रहे विदेश मंत्री जयशंकर, चीनी दूतावास ने कहा-दलाई लामा और तिब्बत ‘कांटा’, ‘बोझ’ बने

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Highlightsपूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले अंतिम दो स्थानों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाया है।भावी उत्तराधिकारी को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार होगा।किसी भी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

नई दिल्लीः नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने रविवार को कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी सहित तिब्बत से संबंधित मुद्दे भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में एक ‘‘कांटा’’ हैं और वे नयी दिल्ली के लिए एक ‘बोझ’ बन गए हैं। यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन यात्रा से पहले आई है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में आए गंभीर तनाव के बाद यह जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी।

 

भारत और चीन ने पिछले वर्ष अक्टूबर में पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले अंतिम दो स्थानों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाया है। गत कुछ महीनों में दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। इस महीने की शुरुआत में दलाई लामा ने कहा था कि तिब्बती बौद्धों के एक ट्रस्ट को उनके भावी उत्तराधिकारी को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार होगा।

चीन ने दलाई लामा की टिप्पणी पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि उनके उत्तराधिकारी को चीनी सरकार द्वारा मंजूरी दी जानी चाहिए। चीनी दूतावास के प्रवक्ता यु जिंग ने रविवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पूर्व अधिकारियों सहित रणनीतिक और शैक्षणिक समुदायों के सदस्यों ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में भारत सरकार के सार्वजनिक रुख के विपरीत ‘‘अनुचित टिप्पणी’’ की है।

यु ने कहा, ‘‘उन्हें शिजांग से संबंधित मुद्दों की संवेदनशीलता के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहिए, तथा यह भी कि दलाई लामा के पुनर्जन्म और उत्तराधिकार स्वाभाविक रूप से चीन का आंतरिक मामला है, जिसमें किसी भी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’

चीन तिब्बत को ‘शिजांग’ कहता है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘वास्तव में, शिजांग से संबंधित मुद्दा चीन-भारत संबंधों में एक कांटा है और भारत के लिए बोझ बन गया है। ‘शिजांग कार्ड’ खेलना निश्चित रूप से अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।’’

जयशंकर एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए 14 और 15 जुलाई को चीन की यात्रा करेंगे। एससीओ सम्मेलन के दौरान उनके अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने की उम्मीद है। 

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