'इतिहास की किताबों में आप कहां खड़े होना चाहते हैं?' भारत के रियायती रूसी तेल खरीदने पर व्हाइट हाउस की टिप्पणी
By विशाल कुमार | Published: March 16, 2022 09:51 AM2022-03-16T09:51:40+5:302022-03-16T10:01:03+5:30
भारत द्वारा रियायती कच्चे तेल की रूसी पेशकश को स्वीकार करने की संभावना पर एक रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर साकी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह उन (प्रतिबंधों) का उल्लंघन होगा।
वाशिंगटन:भारत द्वारा रियायती कच्चे तेल की रूस की पेशकश को स्वीकार करना अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा लेकिन यह भी सोचें कि जब इस समय के बारे में इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी तो आप कहां खड़े होना चाहते हैं। व्हाइट हाउस ने एक बयान में यह बात कही है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने मंगलवार को अपने दैनिक समाचार सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि किसी भी देश के लिए हमारा संदेश यह है कि हमने जो प्रतिबंध लगाए हैं और उनकी सिफारिश की है, उनका पालन करें।
भारत द्वारा रियायती कच्चे तेल की रूसी पेशकश को स्वीकार करने की संभावना पर एक रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर साकी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह उन (प्रतिबंधों) का उल्लंघन होगा।
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन यह भी सोचें कि जब इस समय के बारे में इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी तो आप कहां खड़े होना चाहते हैं। रूसी नेतृत्व के लिए समर्थन एक आक्रमण के लिए समर्थन है जो स्पष्ट रूप से विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है।
बता दें कि, भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले पर तटस्थ रुख अपनाया हुआ है। जहां एक तरफ वह दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए कह रहा है तो वहीं दूसरी तरफ वह संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए सभी प्रस्तावों से अनुपस्थित रहा है।
बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने भारत की स्थिति को समझा है और सांसदों से कहा है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रूसी सैन्य आपूर्ति पर एक बड़ी निर्भरता है।
हालांकि, भारतीय-अमेरिकी सांसद डॉ. अमी बेरा ने उन रिपोर्टों पर निराशा व्यक्त की कि भारत भारी छूट वाली दर पर रूसी तेल खरीदने पर विचार कर रहा है।