नई दिल्ली: भारत ने लोगों की जासूसी करने वाले विवादास्पद स्पाइवेयर टूल पेगासस को साल 2017 में इजरायल के साथ एक बड़े हथियारों के सौदे के तहत खरीदा था। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा किया है।
सैन्य क्षमता वाले इस सॉफ्टवेयर का निर्माण एनएसओ ग्रुप ने किया है और यह भारत और इजरायल के बीच करीब दो अरब डॉलर (करीब 12,880 करोड़ रुपये) के अत्याधुनिक हथियारों और खुफिया उपकरणों के पैकेज हिस्सा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स की हालिया रिपोर्ट इस बात को लेकर है कि किस तरह से एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके इजरायल ने दुनियाभर में राजनयिक लाभ हासिल किए।
रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने पेगासस की तरह ही एक अन्य स्पाइवेयर टूल की खरीददारी की थी। इसके साथ ही पेगासस पोलैंड, भारत और हंगरी को बेचे जाने की जानकारी भी शामिल है।
एनवाईटी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में भारत ने पेगासस खरीद लिया था। रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली 2 अरब ड़लर के एक व्यापक रक्षा पैकेज का मुख्य हिस्सा थे।
सरकार द्वारा कथित जासूसी के खिलाफ दायर लगभग एक दर्जन याचिकाओं के बाद 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए दो विशेषज्ञों के साथ सेवानिवृत्त जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति नियुक्त की हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला नहीं दिया जा सकता है।
बता दें कि, जुलाई 2021 में द वायर सहित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों के एक संघ ने दुनियाभर के देशों में पेगासस के उपयोग का खुलासा किया था। भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब द्वारा किए गए फोरेंसिक विश्लेषण के माध्यम से पेगासस के इस्तेमाल के 10 से अधिक मामले पाए गए थे।
इससे पहले साल 2019 में व्हाट्सएप ने एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया था और उस पर अपने सॉफ्टवेयर का अवैध उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। उस समय व्हाट्सएप ने कहा था कि उसने कई भारतीय कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के फोन पर पेगासस को निशाना बनाते हुए पाया था।
वहीं, पिछले साल नवंबर में अमेरिका ने एनएसओ ग्रुप को निर्यात प्रतिबंधों की सूची में डाल दिया था।