यूपी में माता-पिता को सताने वाले बच्चे संपत्ति से होंगे बेदखल, सूबे की वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली में होगा संशोधन
By राजेंद्र कुमार | Updated: September 25, 2025 17:55 IST2025-09-25T17:55:17+5:302025-09-25T17:55:28+5:30
इस नियमावली में संशोधन होने पर कोई युवा अपने बूढ़े मां-बाप को सताने का प्रयास करेगा तो वह अपने माता-पिता के बनाए घर में नहीं रह सकेगा. उसने कहीं और अपना ठिकाना ढूंढना होगा.

यूपी में माता-पिता को सताने वाले बच्चे संपत्ति से होंगे बेदखल, सूबे की वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली में होगा संशोधन
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में रह रहे लाखों बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा को लेकर चिंतित हुई है. इसकी वजह है, राज्य में बदल रहे सामाजिक परिवेश के चलते युवाओं का अपने बुजुर्ग मां-बाप के प्रति कठोर होता व्यवहार. जिसके चलते बीते कुछ वर्षों के दौरान तमाम बुजुर्ग माता-पिता को उनके बच्चों के घर से बाहर निकाल दिया. ऐसी घटनाओं की बढ़ रही संख्या को देखते हुए योगी सरकार ने वरिष्ठ नागरिक कल्याण नियमावली में संशोधन करने को मंजूरी देने का फैसला किया है.
इस नियमावली में संशोधन होने पर कोई युवा अपने बूढ़े मां-बाप को सताने का प्रयास करेगा तो वह अपने माता-पिता के बनाए घर में नहीं रह सकेगा. उसने कहीं और अपना ठिकाना ढूंढना होगा. कुल मिलकर माता-पिता को सताने वाले युवा बेटा-बेटी को घर समेत अचल संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार बुजुर्ग को मिल जाएगा और यह बेदखली मां-बाप के जीवन काल में लागू रहेगी.
इसलिए नियमावली में होगा संशोधन :
राज्य विधि आयोग ने लाखों बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा को लेकर वरिष्ठ नागरिक कल्याण नियमावली में यह संशोधन करने की सिफ़ारिश ही है. उक्त सुझाव से सहमत होकर अब उत्तर प्रदेश में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 में संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा. अभी उत्तर प्रदेश में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 के तहत राज्य के हर तहसील में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में भरण-पोषण अधिकरण बना हुआ है.
इस अधिकरण में किसी भी वरिष्ठ नागरिक की अपने बच्चों या नातेदारों से होने वाली शिकायत का निपटारा किया जाता है. अधिकरण के फैसले के खिलाफ डीएम के यहां अपील भी करने का प्रावधान भी है. बताया जा रहा है कि इस व्यवस्था में बुजुर्ग मां-बाप के प्रति कठोर व्यवहार करने वाले युवा बच्चों और रिश्तेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. इस वजह से संपत्ति के लालच में तमाम युवा अपने बुजुर्ग मां-बाप के प्रति कठोर व्यवहार करते हैं.
ऐसे मामलों में हो रहे इजाफे को लेकर पांच वर्ष पहले राज्य विधि आयोग ने माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 के नियम-22 में संशोधन की सिफारिश की थी. विधि आयोग ने प्रस्तावित संशोधन में बुजुर्ग माता-पिता (वरिष्ठ नागरिकों) का ध्यान न रखने पर बच्चों और नातेदारों को संपत्ति से बेदखल करने का प्रावधान करने की बात कही गई थी, बशर्ते उस संपत्ति पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार हो. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह सुझाव पसंद आया.
नियमावली में संशोधन को लेकर बताए गए सुझाव पर न्याय विभाग की भी राय ली गई और फिर राज्य के सीनियर मंत्रियों के साथ हुए विचार-विमर्श में यह तय हुआ कि बुजुर्ग माता-पिता को दुख देने वाले बच्चों की संपत्ति से बेदखली स्थायी न होकर एक निश्चित समय के लिए रहेगी. यानी, वह मां-बाप के जीवनकाल में लागू रहेगी. उसके बाद बच्चों या नातेदारों को उस संपत्ति पर नियमानुसार अधिकार मिलेगा.
यूपी में एक करोड़ से अधिक बुजुर्ग :
इस फैसले के बाद माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली में संशोधन प्रस्ताव जल्दी ही कैबिनेट में रखे जाने पर सहमति बनी. राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि इस संशोधन से सूबे के लाखों बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी और कोई भी बेटा या बेटी संपत्ति के लालच में अपने माता-पिता के प्रति कठोर व्यवहार नहीं करेगा.
सुरेश खन्ना का कहना है कि राज्य में एक करोड़ से अधिक बुजुर्ग हैं. इनमें 67.50 लाख बुजुर्गों को सरकार एक हजार रुपए पेंशन देती है. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के वृद्धाश्रमों के लगभग 6500 से अधिक वृद्धजनों को रहने, खाने-पीने, चिकित्सा और मनोरंजन जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही है.