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EXCLUSIVE: महाराष्ट्र जैसा ही है यूपी का हाल? कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या छिपाई जा रही, सामने आया प्रशासन का बड़ा ''खेल''

By शीलेष शर्मा | Updated: May 26, 2020 06:52 IST

महाराष्ट्र कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों की बढ़ती संख्या को लेकर भले ही सुर्खियों में हो, लेकिन यूपी में कोविड-19 के मरीजों के वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं.

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ठळक मुद्दे उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कुछ आंकड़े स्थानीय प्रशासन द्वारा छिपाए जा रहे हैं तो कुछ आंकड़े क्वारंटाइन किए जाने के डर से सामने नहीं आ रहे हैं.प्रदेश में अगर आंकड़ों की बात करें तो 24 मई की रात तक कोविड-19 मरीज़ों की संख्या 6268 पार कर चुकी थी, जिनमें 161 लोगों की मौत हो चुकी है.

नई दिल्ली। महाराष्ट्र कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों की बढ़ती संख्या को लेकर भले ही सुर्खियों में हो, लेकिन यूपी में कोविड-19 के मरीजों के वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कुछ आंकड़े स्थानीय प्रशासन द्वारा छिपाए जा रहे हैं तो कुछ आंकड़े क्वारंटाइन किए जाने के डर से सामने नहीं आ रहे हैं. प्रदेश में अगर आंकड़ों की बात करें तो 24 मई की रात तक कोविड-19 मरीज़ों की संख्या 6268 पार कर चुकी थी, जिनमें 161 लोगों की मौत हो चुकी है. इन आंकड़ों में वह लोग शामिल नहीं है, जो कोविड-19 पीडि़त होने के बावजूद सरकारी रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बन सके हैं.

लोकमत ने ऐसे कुछ आंकड़ों का पता लगाने की कोशिश की तो पहला मामला गाजियाबाद के इंद्रापुरम से मिला. हंसराज जो मूल रूप से हरियाणा का रहने वाला है और वह कोविड-19 का शिकार हो चुका है, लेकिन क्वारंटाइन किए जाने के डर से प्रशासन से संपर्क नहीं कर रहा है. लोकमत से फोन पर उसने इसकी पुष्टि की है. दूसरा मामला नोएडा के सेक्टर 36 का है, जिसकी प्रशासन को भनक तक नहीं है. तीसरा मामला फिरोज़ाबाद में मित्तल परिवार का सामने आया है. पति और पत्नी दोनों कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन यह जानकारी होने के बावजूद इसे पंजीकृत नहीं कर रहा है.

यह तो ऐसे मामलों की महज़ बानगी है. पूरे प्रदेश में यदि सही संक्रमित लोगों को गिन लिया जाए तो यूपी भी महाराष्ट्र की श्रेणी में खड़ा हो जाएगा. संक्रमित मरीजों को घरों में रहने को कह रहे अधिकारी मित्तल परिवार के एक सदस्य माधव प्रसाद मित्तल का कहना था कि प्रशासनिक अधिकारी संख्या बढ़ने के डर से संक्रमित मरीजों को चुपचाप घरों में रहने को कह रहे हैं, क्योंकि प्रशासन के पास न तो संसाधन हैं और संक्रमितों की संख्या बढ़ने न पाए. इसलिए किसी सरकारी रिकॉर्ड में ऐसे लोगों का ब्यौरा दर्ज नहीं किया जा रहा है.

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