उज्जैन में कालगणना की दृष्टि से जन्तर-मन्तर पर लगेगी वैदिक घड़ी, किया गया भूमि पूजन

By बृजेश परमार | Published: November 6, 2022 06:50 PM2022-11-06T18:50:40+5:302022-11-06T18:58:45+5:30

महाकाल की नगरी उज्जैन में महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाये गये जन्तर-मन्तर को पुनर्स्थापित करके यहां एक करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से वैदिक घड़ी का निर्माण कराया जा रहा है।

In Ujjain, Vedic clock will be installed at Jantar Mantar from the point of view of counting, land worship done | उज्जैन में कालगणना की दृष्टि से जन्तर-मन्तर पर लगेगी वैदिक घड़ी, किया गया भूमि पूजन

ट्विटर से साभार

Highlightsमहाकाल की नगरी उज्जैन में एक करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से बनाई जा रही वैदिक घड़ीजन्तर-मन्तर को पुनर्स्थापित करने के क्रम में यह घड़ी वैदिक काल गणना के सिद्धांतों पर कार्य करेगीमहाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन आने वाले पर्यटकों के लिए वैदिक घड़ी आकर्षण का केंद्र बनेगी

उज्जैनकालगणना की दृष्टि से लगभग 300 साल पहले जयपुर के महाराजा जयसिंह ने उज्जैन में जन्तर-मन्तर (वेधशाला) का निर्माण करवाया था। इसको पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से यहां एक करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से वैदिक घड़ी का निर्माण कराया जा रहा है।

यह घड़ी वैदिक काल गणना के सिद्धांतों के आधार पर कार्य करेगी। प्रतिदिन सूर्योदय में होने वाले परिवर्तन तथा देश और दुनिया में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय पर होने वाला सूर्योदय भी इससे सिंक्रोनाइज होगा।

माना जा रहा है कि बहुत जल्द उज्जैन आने वाले पर्यटकों के लिए शासकीय जीवाजी वेधशाला वैदिक घड़ी को लेकर आकर्षण का नया केंद्र बन जाएगा। वैदिक घड़ी की एप्लिकेशन में विक्रम पंचांग भी समाहित रहेगा,जो प्रतिदिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त, विक्रम संवत मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चोघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, प्रमुख अवकाश, आकाशस्य ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि ज्योति स्वरूप पदार्थो का स्वरूप, संचार, परिभ्रमण, कालग्रहण आदि घटनाओं का निरूपण, तिथि वार, नक्षत्र, योग, करण, आदि की विस्तृत जानकारी अनिवार्य रूप से उपलब्ध करायेगी।

वैदिक घड़ी एप्लिकेशन को मोबाइल, एलईडी, स्मार्ट टीवी, टैब, डिजिटल घड़ी आदि पर अवश्य देखा, दिखाया जा सकेगा। वैदिक घड़ी के बैकग्राउंड ग्राफिक्स में सभी ज्योतिर्लिंग, नवग्रह, राशि चक्र, सूर्योदय, सूर्यास्त आदि रहेगा।उज्जयिनी में दक्षिण की ओर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के दाहिनी तरफ जयसिंहपुरा स्थान पर प्रेक्षाग्रह जन्तर मन्तर महल (वेधशाला)के नाम से जाना जाता है।

इसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 1733 ईस्वी में बनवाया था। जैसा कि भारत के खगोलशास्त्री तथा भूगोलवेत्ता यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है। यहां के प्रेक्षाग्रह का भी विशेष महत्व रहा है। यहां चार यंत्र लगाये गये हैं, जिनमें सम्रात यंत्र, नाद वलम यंत्र, दिगांरा यंत्र एवं मिट्टी यंत्र।

इन यंत्रों का सन 1925 में महाराजा माधवराव सिंधिया ने मरम्मत करवाया था। रविवार को वैदिक घड़ी निर्माण कार्य का भूमि पूजन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल नगर निगम आयुक्त श्री रोशन सिंह की उपस्थिती में सम्पन्न हुआ।

Web Title: In Ujjain, Vedic clock will be installed at Jantar Mantar from the point of view of counting, land worship done

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