शरद पवार ने सावरकर मुद्दे पर कहा, "सावरकर बीफ खाने का समर्थन करते थे, संघ और सावरकर अलग-अलग हैं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 29, 2023 04:09 PM2023-03-29T16:09:26+5:302023-03-29T19:59:41+5:30
सावरकर विवाद पर एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि सावरकर और संघ अलग-अलग हैं और सावरकर तो बीफ खाने का समर्थन करते थे। विपक्षी दलों में से कई दलों के विचार सावरकर पर अलग हो सकते हैं और कुछ के मन में सावरकर के लिए आदर की भावनाएं भी हो सकती हैं। इसलिए सभी को संभलकर बोलना चाहिए।
दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और उद्धव ठाकरे को एक मंच पर ले आने वाले वयोवृद्ध नेता शरद पवार ने विपक्षी दलों की बैठक में राहुल गांधी द्वारा विनायक दामोदर सावरकर के बारे में दिये विवादित बयान पर राहुल गांधी संभल कर बोलने की नसीहत देते हुए कहा कि किसी को भी ऐसे बयान नहीं देने चाहिए, जिससे विपक्षी एकता को धक्का पहुंचे क्योंकि सारे विपक्षी दलों की आम सहमति भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने पर एक है और सभी को इसी दिशा में मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।
दरअसल सावरकर को लेकर उद्धव ठाकरे की पार्टी और कांग्रेस के बीच में तब दूरी बढ़ गई जब बीते शनिवार को राहुल गांधी ने लोकसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा था कि वह सावरकर नहीं बल्कि गांधी हैं, इसलिए माफी नहीं मांगेंगे।समाचार वेबसाइट डेकन्न हेराल्ड के अनुसार राहुल गांधी की सावरकर विरोधी टिप्पणी को लेकर न केवल भाजपा हमलावर है बल्कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ खड़ी उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना भी राहुल गांधी के बयान से खफा हो गई। जिसके बाद कांग्रेस-उद्धव के बीच पनपे मधुर संबंध पर कयास लगने लगे थे।
विवाद के फौरन बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने राहुल गांधी को फोन किया और बताया कि कांग्रेस समेत विपक्ष की लड़ाई मोदी के खिलाफ है न कि सावरकर के खिलाफ। ऐसे में अगर राहुल गांधी मोदी सरकार के अलावा अन्य मुद्दों पर बात करेंगे तो उनका वैचारिक रुख कमजोर होगा और इसका असर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस की "दोस्तों" पर भी पड़ेगा।
यही कारण था कि कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सोमवार को बुलाये गये रात्रि भोज कार्यक्रम में शिवसेना ठाकरे गुट ने शिरकत नहीं की। जबकि तृणमूल कांग्रेस के सांसद खड़गे के बुलावे पर गये थे।
मल्लिकार्जुन खड़गे की उस बैठक में एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा, "सावरकर और आरएसएस अलग-अलग हैं और सावरकर तो बीफ खाने का समर्थन करते थे। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों में से कई के विचार सावरकर पर अलग हो सकते हैं और कुछ के मन में सावरकर के लिए आदर की भावनाएं भी हो सकती हैं। इसलिए हमें सावरकर पर बोलने की बजाय केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कमियों पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए क्योंकि हमारी अलग-अलग सोच और विचार से हमारी ही एकता को नुकसान पहुंचेगा।"
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में पवार के विचार को सुनने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि वो सावरकर पर अपनी वैचारिक आक्रामकता को नहीं बदलेंगे लेकिन विपक्षी दलों के मित्रों के लिए इसे कम जरूर कर सकते हैं। राहुल ने बैठक में कहा कि वह हमेशा दोस्तों का सम्मान करते हैं और उनके लिए आज की तारीख में अधिक महत्वपूर्ण है कि कैसे लोकतंत्र की रक्षा की जाए।
वहीं इस मसले पर पैदा हुए तनाव के संबंध में कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने माना कि विपक्षी दलों के बीच यह मुद्दा है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि आपसी बातचीत से इस मुद्दे का हल निकाल लिया जाएगा। केसी वेणुगोपाल के अलावा कांग्रेस संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सोमवार की रात में खड़गे जी के आवास पर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए 18 दल एक साथ शामिल हुए। विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होकर मजूबत लड़ाई लड़ रहा है।