आईआईटी ने यूवी प्रौद्योगिकी से लैस ‘संदूक’ का किया निर्माण, खाने के सामान को बनाएगा संक्रमण मुक्त
By भाषा | Published: April 10, 2020 04:02 PM2020-04-10T16:02:48+5:302020-04-10T16:02:48+5:30
आईआईटी ने पराबैंगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रौद्योगिकी से लैस संदूकनुमा एक उपकरण विकसित किया है। जिसमें, वह घर की दहलीज पर रखने तथा खाद्य सामग्री और बैंक नोट समेत बाहर से आने वाली हर सामग्री को इसमें डाल कर संक्रमण मुक्त बनाने की सलाह देते हैं ताकि कोविड-19 के खिलाफ जंग को बल मिल सके।
नई दिल्लीःभारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने पराबैंगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रौद्योगिकी से लैस संदूकनुमा एक उपकरण विकसित किया है और वह इसे घर की दहलीज पर रखने तथा खाद्य सामग्री और बैंक नोट समेत बाहर से आने वाली हर सामग्री को इसमें डाल कर संक्रमण मुक्त बनाने की सलाह देते हैं ताकि कोविड-19 के खिलाफ जंग को बल मिल सके।
आईआईटी रोपड़ की टीम के मुताबिक, जब इस संदूक का व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू किया जाएगा तब यह 500 रुपये से कम की कीमत पर उपलब्ध होने लगेगा। यह उपकरण सामग्रियों को संक्रमणमुक्त बनाने में 30 मिनट का समय लेगा और टीम ने इसमें से सामान बाहर निकालने से पहले 10 मिनट तक उसे और छोड़ने की सलाह दी है। आईआईटी रोपड़ के वरिष्ठ साइंटिफिक अधिकारी नरेश राखा ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग केवल सामाजिक दूरी बनाए रखने और घर से बाहर न निकलने से ही खत्म नहीं होती।
आने वाले दिनों और हफ्तों में, हर संभव चीज के साथ सतर्क रहना बहुत जरूरी हो जाएगा। हमने ऐसा उपकरण विकसित किया है जो हमारे घरों में उपयोग होने वाले किसी संदूक की तरह दिखता है और हम सलाह देते हैं कि इसे दहलीज पर या प्रवेश द्वार के करीब रखा जाए।” उन्होंने कहा, “ अभी कई ऐसे लोग होंगे जो सब्जियों को इस्तेमाल से पहले गर्म पानी में धोते होंगे लेकिन यह बैंक नोट या पर्स के साथ नहीं किया जा सकता।
इसलिए हमने हर चीज को संक्रमणमुक्त करने के लिए साझा समाधान विकसित किया है।” टीम ने सुझाव दिया कि बाहर से आने वाला सारा सामान मसलन बैंक नोट, सब्जियां, दूध के पैकेट, डिलिवरी के जरिए आने वाला सामान, घड़ी, वॉलेट, मोबाइल फोन या कोई भी दस्तावेज इस्तेमाल से पहले इस संदूक में डाला जाए। राखा ने कहा, “यह उपकरण पराबैंगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रौद्योगिकी पर आधारित है जो वाटर प्यूरीफाइर्स में इस्तेमाल होती है। हम सख्त सलाह देते हैं कि संदूक के अंदर की रोशनी को सीधे न देखा जाए क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकती है।”