केंद्र सरकार को सदबुद्धि आ जाए तो देशहित में: गहलोत

By भाषा | Updated: March 12, 2021 19:15 IST2021-03-12T19:15:48+5:302021-03-12T19:15:48+5:30

If the central government realizes, then it is in the interest of the country: Gehlot | केंद्र सरकार को सदबुद्धि आ जाए तो देशहित में: गहलोत

केंद्र सरकार को सदबुद्धि आ जाए तो देशहित में: गहलोत

जयपुर, 12 मार्च राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन और ‘लव जिहाद’ को लेकर शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी व केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष किए और कहा कि अगर केंद्र सरकार को सदबुद्धि आ जाए तो देशहित में होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जिद छोड़कर किसान आंदोलन पर फैसला करे।

गहलोत ने दांडी मार्च की 91वीं वर्षगांठ पर आयोजित मार्च की शुरुआत के बाद गांधी सर्किल पर आयोजित सभा को संबोधित किया व उसके बाद मीडिया से बात की। कृषि आंदोलन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ये जो हालात बने हैं, इसमें बहुत खतरनाक मामला है और बहुत चिंताजनक स्थिति है। अगर सरकार के अंदर सद्बुद्धि आ जाए तो देशहित में होगा।’’

कृषि कानूनों को लेकर जारी आंदोलन पर उन्होंने कहा, ‘‘आज के दिन दांडी मार्च के उपलक्ष्य में नरेंद्र मोदी खुद भी साबरमती आश्रम से इस मार्च को रवाना कर रहे हैं, मुझे उम्मीद है कि आज शाम तक उनको अंतर्मन के अंदर गांधी जी का संदेश उनको झकझोरेगा, हो सकता है कि शाम तक वो कोई फैसला करें, तो मुझे बहुत खुशी होगी, देशवासियों को खुशी होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह देश का दुर्भाग्य है कि जिन किसानों ने आजादी की जंग में हिस्सा लिया हो, जो अन्नदाता हो ... उसको लेकर सरकार जिद पकड़कर बैठी है। मैं बार-बार कहता हूं कि सरकारों को कभी जिद नहीं करनी चाहिए, सरकारों को हमेशा नतमस्तक होना चाहिए जनता के सामने, जनता जनार्दन के सामने, मतदाताओं के सामने।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार अगर इन कानूनों को एक बार वापस भी ले लेती है तो क्या फर्क पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार आप वापस ले लीजिए कानून को। 4-6 महीने में आप बुलाकर बात कर लीजिए किसानों से भी, राज्य सरकारों से भी, विपक्ष की पार्टियों से भी, नया कानून लेकर आ जाइए। कुछ नहीं करना है, सिर्फ ये फैसले करने की बात है, जो प्रधानमंत्री मोदी को करना है, सरकार को करना है।’’

गहलोत ने कहा, ‘‘सरकार तो सरकार है यदि एकबार जनता ने आपको चुन लिया है, अब आप वास्तव में 56 इंच का सीना दिखाओ, अभी तक तो खाली कहा है, अब करके दिखाओ कि 6-7 साल तो हमने जल्दी-जल्दी में फैसले कर लिए, अब हम चाहेंगे कि सभी जाति, धर्म, सभी वर्गों के लोगों को लेकर साथ चलें।’’

‘लव जिहाद’ को लेकर गहलोत ने कहा, ‘‘लव जिहाद, आप बताइए क्या हो रहा है देश में? कानून बन रहे हैं उसके लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में, ये जो हालात कर रखे हैं देश के अंदर, धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, वर्ग के नाम पर। अभी तो हिंदू-मुसलमान की बात हो रही है, जब हिंदू-मुसलमान का इनका एजेंडा खत्म हो जाएगा, हिंदू में फिर होगा ये दलित हैं, ये जनरल कास्ट के हैं, ये ओबीसी के हैं, उनमें लड़ाई करवाएंगे ये लोग।’’

गहलोत ने कहा, ‘‘अब मैं कहना चाहूंगा कि कम से कम प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि आरएसएस के मोहन भागवत से बात कर लें, घर में सलाह-मशविरा कर लें, अगर देश को एक रखना है, अखंड रखना है ... सही रास्ते पर आ जाएं, वरना जनता सही रास्ते पर लेकर आएगी।’’

गहलोत ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए "अमृत महोत्सव" मनाने के केंद्र सरकार के कदम को स्वागतयोग्य बताया। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा की कोशिश हमेशा इतिहास को एकपक्षीय दिखाने की रही है। उम्मीद करता हूं कि राजग सरकार अमृत महोत्सव में कांग्रेस से जुड़े रहे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कमतर दिखाने का प्रयास नहीं करेगी। स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए बलिदान दिया है, उनका योगदान हमेशा सर्वोपरि रहना चाहिए।

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