मुंबई: मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में भारी उथल-पुथल मची हुई है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सूबे की एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा मराठाओं को दिये जाने वाले अति पिछड़ा वर्ग की सुविधाएं को अस्वीकर करते हुए कहा कि बीते रविवार को चेताया कि अगर मराठाओं के लिए ऐसी कोई सुविधा दी गई, जिससे अन्य जातियों का हित प्रभावित होता है तो उससे पूरे महाराष्ट्र में अशांति फैल सकती है।
सोशल प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर मराठी में लिखे एक पोस्ट में भाजपा नेता नारायण राणे ने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को चेतवानी देते हुए कहा अगर मराठाओं को ओबीसी के लाभ मिलता है और उससे अन्य जातियों पर प्रभाव पड़ता है या फिर सरकार के कदम से अन्य पिछड़े समुदायों के अधिकारों पर अतिक्रमण होता है तो उससे महाराष्ट्र में अशांति फैल सकती है।
इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि वह सोमवार को इस मामले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और मराठा कोटा के मुद्दे पर और विस्तार से बात करेंगे।
मालूम हो कि बीते 27 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा आरक्षण से संबंधित मांगें स्वीकार किए जाने के बाद उसके लिए आंदोलन कर रहे मनोज जारांगे ने मराठा आरक्षण के लिए अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें ओबीसी द्वारा प्राप्त सभी लाभ दिए जाएंगे।
सरकार की ओर से कहा गया कि मनोज जारांगे के साथ बातचीत के आधार पर एक मसौदा अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि एक मराठा व्यक्ति के खून के रिश्तेदार के पास अगर यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड हैं कि वह कृषक कुनबी समुदाय से है, तो उसे कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी।
महाराष्ट्र में कुनबी एक कृषक समुदाय है, जो ओबीसी श्रेणी में आता है। वहीं मनोज जारांगे पिछले साल अगस्त से मराठों के लिए आरक्षण के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. जिसमें वो सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र की मांग कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल, जो अजित पवार खेमे से एनसीपी के सदस्य हैं। उन्होंने भी शिंदे सरकार के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है और ओबीसी श्रेणी में मराठों के "पिछले दरवाजे से प्रवेश" पर सवाल उठाया है।
वहीं भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मराठाओं के कारण पैदा होने वाली ओबीसी की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि मराठों को बिना किसी सबूत के कुनबी जाति प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।