बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिंदुओं को भी पढ़नी पड़ती नमाज: शिवसेना

By भाषा | Updated: January 18, 2019 11:13 IST2019-01-18T11:13:15+5:302019-01-18T11:13:15+5:30

पार्टी ने कहा है, ‘‘कुछ लोग पूछते हैं छत्रपति शिवाजी और बालासाहेब ठाकरे के स्मारक का क्या इस्तेमाल है? छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं होते तो पाकिस्तान की सीमा तुम्हारी दहलीज तक आ गई होती और बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिंदुओं को भी नमाज पढ़नी पड़ता।’’ 

If Balasaheb were not there, Hindus would also have to pray namaz: Shivsena | बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिंदुओं को भी पढ़नी पड़ती नमाज: शिवसेना

बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिंदुओं को भी पढ़नी पड़ती नमाज: शिवसेना

Highlightsशिवसेना ने शिवाजी स्मारक के निर्माण को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधापार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में सवाल किया गया है

मुंबई, 18 जनवरीः शिवसेना ने शिवाजी स्मारक के निर्माण को लेकर शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा और उसने पूछा कि वह उच्चतम न्यायालय के समक्ष इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने में असफल क्यों रही। शिवसेना ने कहा कि यह इस तथ्य के बावजूद हुआ कि सरकार चुनावों में ‘‘जीत के लिए खरीद-फरोख्त करने’’ जैसे अन्य मुद्दों पर कभी असफल नहीं होती।

पार्टी ने कहा है, ‘‘कुछ लोग पूछते हैं छत्रपति शिवाजी और बालासाहेब ठाकरे के स्मारक का क्या इस्तेमाल है? छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं होते तो पाकिस्तान की सीमा तुम्हारी दहलीज तक आ गई होती और बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिंदुओं को भी नमाज पढ़नी पड़ता।’’ 

पार्टी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर शिवाजी स्मारक का निर्माण रोक दिया है। यह बार-बार हो रहा है जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार स्मारक बनाने को लेकर गंभीर है। महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सहयोगी दल ने कहा कि गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे बिना किसी पर्यावरणीय या तकनीकी मुद्दे के सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का सफलतापूर्वक निर्माण किया गया। 

शिवसेना ने कहा कि सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन किया और इसी तरह तीन तलाक का मुद्दा हल किया जबकि अयोध्या में राम मंदिर और मुंबई में शिवाजी स्मारक के निर्माण का मुद्दा अब भी अनसुलझा है।

उसने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में सवाल किया गया है, ‘‘क्या अदालत स्मारक के निर्माण के बीच आ रही है या यह कोई और है जो नहीं चाहता कि यह बने तथा वह न्यायपालिका को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है?’’

शिवसेना ने कहा कि यह परियोजना 3600 करोड़ रुपये की है लेकिन सरकार शुरुआत से ही इसे लेकर गंभीर नहीं थी। उसने अदालत में शिवाजी स्मारक के निर्माण का मुद्दा अटकाने को ‘‘शर्मनाक’’ बताया।

Web Title: If Balasaheb were not there, Hindus would also have to pray namaz: Shivsena

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