नयी दिल्ली, 17 फरवरी उत्तराखंड में चारधाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी कर रही उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय को लिखा है कि पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण और सड़क को चौड़ा करने से हिमालयी परिस्थितिकी को अपूरणीय नुकसान पहुंच रहा है जिसके कारण चमोली जिले में अचानक बाढ़ रूपी आपदा आई।
समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने सर्वोच्च अदालत को लिखे पत्र में कहा कि 2013 में केदारनाथ में हुए हादसे के बाद एक विशेषज्ञ समिति ने पनबिजली परियोजनाओं के प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट सौंपी थी और उसमें व्यक्त की गई चिंताओं और अनुशंसाओं पर ध्यान दिया जाता तो ऋषिगंगा और तपोवन-विष्णुगाड परियोजनाओं में जान-माल के व्यापक नुकसान से बचा जा सकता था।
“उपलब्ध साक्ष्यों और 2013 में हुए हादसे के मद्देनजर वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारिक हमारी रिपोर्ट की सराहना करने के बजाय, यह बेहद खेदजनक है कि 15 जनवरी 2021 के अपने हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने मकसद की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाए।
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