गृह मंत्रालय का बड़ा एक्शन; एनआईए अधिकारी विशाल गर्ग को किया निलंबित, जानें क्या है मामला?
By अंजली चौहान | Published: April 25, 2023 09:32 AM2023-04-25T09:32:51+5:302023-04-25T10:12:05+5:30
2019 के बाद यह दूसरी बार है जब गर्ग को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है।
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने मंगलवार को भ्रष्टाचार को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। गृह मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी को निलंबित कर दिया है।
बताया जा रहा है कि अधिकारी की पहचान विशाल गर्ग के रूप में हुई है, जो एनआईए के दिल्ली मुख्यालय में प्रतिनियुक्त है।
गौरतलब है कि 2019 के बाद यह दूसरी बार है जब गर्ग को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है। इसके बाद साल 2020 में गृह मंत्रालय ने उन्हें एक बार फिर से बहाल कर दिया था।
National Investigation Agency officer Vishal Garg has been placed under suspension on charges of corruption. Ministry of Home Affairs took the action against the officer: Sources
— ANI (@ANI) April 25, 2023
उस समय गर्ग को लखनऊ से नई दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था। ट्रांसफर के बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से प्रशिक्षण का प्रभारी बनाया गया था।
जानकारी के अनुसार, इस बार एनआईए अधिकारी गर्ग को भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित किया गया है। गृह मंत्रालय ने ये कार्रवाई गर्ग की जांच रिपोर्ट के परीक्षण के बाद की है।
विशाल गर्ग के साथ अन्य दो अधिकारी शामिल
जानकारी के अनुसार, साल 2019 में विशाल गर्ग को एनआईए के दो अन्य अधिकारियों निशांत और मिथिलेश के साथ मुंबई हमले के मास्टरमाइड हाफिज सईद से जुड़े एक आतंकवाद फंडिंग मामले में उसका नाम नहीं लेने के लिए दिल्ली के एक व्यवसायी से कथित रूप से 2 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।
निशांत और मिथिलेश को तब एनआईए की खुफिया और ऑपरेशन विंग में तैनात किया गया था। इसके बाद साल 2020 में गृह मंत्रालय ने गर्ग के साथ दोनों अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी।
इन मामलों में जांच टीम का हिस्सा रहे विशाल गर्ग
मालूम हो कि विशाल गर्ग साल 2007 के समझौता और अजमेर विस्फोट मामलों के मुख्य जांच अधिकारी थे। इस मामले में स्वामी असीमानंद और अन्य को बरी कर दिया गया था।
फरवरी 2007 में हुए ट्रेन विस्फोट में 68 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी थे। बता दें कि सीमा सुरक्षा बल से गर्ग एनआईए में स्थायी रूप से शामिल होने वाले पहले अधिकारियों में से एक थे।
जिसे मुंबई में 26/11 आतंकी हमले के बाद स्थापित किया गया था। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के एनजीओ फलाह-ए-इंसानियत से भारत में कई मदरसों में फंडिंग हुई थी। 2018-19 में इस मामले की जांच भी विशाल गर्ग ने की थी।