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राष्ट्रीय चैम्पियन मुक्केबाज की याचिका पर उच्च न्यायालय ने बॉक्सर फेडरेशन ऑफ इंडिया से मांगा जवाब

By भाषा | Updated: November 10, 2021 17:11 IST

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नयी दिल्ली,10 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने तुर्की में आगामी महिला ‘वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप’ के लिए राष्ट्रीय चैम्पियन अरूंधति चौधरी के नाम पर विचार नहीं किये जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर बॉक्सर फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) से बुधवार को जवाब मांगा। साथ ही, अदालत ने कहा कि यदि खिलाड़ी असंतुष्ट महसूस करेंगे तो वे देश के लिए क्या करेंगे।

उच्च न्यायालय ने 19 वर्षीय मुक्केबाज की याचिका पर बीएफआई और युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को नोटिस जारी किये। दरअसल, याचिकाकर्ता ने कहा है कि ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन का चयन ‘ट्रायल’ के बगैर किया गया।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने चौधरी को विषय में बोरगोहेन को पक्षकार बनाने की छूट देते हुए कहा कि अदालत याचिकाकर्ता की दलील की पड़ताल नहीं कर सकती, या बोरगोहेन के समर्थन में कोई आदेश जारी नहीं कर सकती है।

अदालत ने याचिका आगे सुनवाई के लिए 22 नवंबर को सूचीबद्ध कर दी है।

सुनवाई के दौरान बीएफआई की ओर से अधिवक्ता रिषीकेश बरूआ और पार्थ गोस्वामी ने अदालत को सूचित किया कि चौधरी को प्रतियोगिता के लिए 70 किग्रा श्रेणी में आरक्षित मुक्केबाज की श्रेणी में पंजीकृत किया गया था।

अधिवक्ता ने कहा कि एक श्रेणी में सिर्फ एक प्रविष्टि हो सकती है और यदि वह बोरगोहेन के चयन से असंतुष्ट हैं तो उन्हें बोरगोहेन को एक प्रतिवादी पक्ष बनाना होगा।

बीएफआई के बयान का संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि वह इस विषय में कोई अंतरिम राहत देने को इच्छुक नहीं है।

दरअसल, चौधरी ने अंतरिम राहत के तौर पर यह मांग की है कि इस्तांबुल, तुर्की में होने वाली वर्ल्ड वूमन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 2021 में उन्हें अवसर से वंचित कर कोई नुकसानदेह कार्रवाई करने से मंत्रालय और बीएफआई को रोका जाए।

इस्तांबुल में चार से 18 दिसंबर तक आयोजित होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप को तुर्की में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि की वजह से अगले साल मार्च तक टाले जाने की संभावना है।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ज्यादातर खेल संघ इसे (खेल संघ को) अपना निजी क्लब मानते हैं जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और मंत्रालय से जागने तथा कार्रवाई करने को कहा।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इन संघों के विषयों की मैं जितनी अधिक सुनवाई करती हूं , मुझे प्रतीत होता है कि जब तक खिलाड़ी उनके आगे सिर नहीं झुकाता है वे खिलाड़ी की नहीं सुनते हैं। आपको खेलों को बढ़ावा देना है। ’’

खेल मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता अपूर्व कुरूप से अदालत ने कहा कि प्राधिकारों को जागना चाहिए क्योंकि वह खेल संघों को खेलों को बढ़ावा देने के लिए काफी मात्रा में धन देते हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि खिलाड़ी अंसतुष्ट होंगे तो वे देश के लिए क्या करेंगे। मंत्रालय को इस पर गौर करना चाहिए। थोड़ा और सक्रिय होइए। हम खेलों में काफी बेहतर कर सकते हैं। मेरा कहना है कि खिलाड़ियों को असंतुष्ट नहीं होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (खिलाड़ियों को) ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वे बेहतर हैं लेकिन प्रतियोगिता के लिए उनका चयन नहीं किया गया। मैं यह नहीं कह रही कि कौन बेहतर हैं, लवलीना या अरूंधति।’’

चौधरी ने अधिवक्ता विजय मिश्रा और संदीप लांबा के मार्फत दायर अपनी याचिका में कहा है कि उनके उत्कृष्ट रिकार्ड को देखते हुए और इस साल अक्टूबर में हरियाणा के हिसार में महिलाओं की राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में उनके स्वर्ण पदक जीतने को लेकर उन्हें तुर्की में आगामी चैम्पियनशिप के लिए किसी अन्य खिलाड़ी की जगह वरीयता दी जानी चाहिए थी।

बीएफआई ने एक बयान में कहा, ‘‘चूंकि वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए प्रत्येक वजन श्रेणी में सिर्फ एक प्रविष्टि (एक खिलाड़ी का नाम) भेजी जा सकती थी, इसलिए बीएफआई ने अपनी बैठक में सोच समझ कर एक फैसला किया और इसके बाद चयन समिति की बैठक ने तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना को एक मौका दिया , जिनका चयन उनकी वजन श्रेणी में वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए सीधे तौर पर किया जाएगा।’’

बयान में कहा गया है कि यह फैसला इस तथ्य के आलोक में लिया गया कि ओलंपिक और हिसार में हुए एलिट वूमंस चैम्पियनशिप में बहुत कम अंतराल था।

लवलीना को तोक्यो ओलंपिक के बाद ठीक होने में वक्त चाहिए था और वह इस श्रेणी में विश्व की नंबर तीन खिलाड़ी भी हैं और इस फैसले से सभी राज्य एसोसिएशन को अवगत करा दिया गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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