उच्च न्यायालय ने आरटीपीसीआर जांच शुल्क 800 रुपये तय करने को लेकर आप सरकार से जवाब मांगा
By भाषा | Updated: December 11, 2020 15:03 IST2020-12-11T15:03:17+5:302020-12-11T15:03:17+5:30

उच्च न्यायालय ने आरटीपीसीआर जांच शुल्क 800 रुपये तय करने को लेकर आप सरकार से जवाब मांगा
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने वाली आरटीपीसीआर जांच का शुल्क 800 रुपये तय करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को आप सरकार से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और ‘एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट्स’ की याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है, जिसमें कहा गया है कि निर्धारित शुल्क में जांच में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की लागत शामिल नहीं की गई है।
एसोसिएशन ने यह भी कहा कि यह मूल्य सीमा कोविड-19 की ट्रूनेट और सीबीएनएएटी जांच के लिए लागू नहीं की जा सकती क्योंकि उसमें कॉर्ट्रिज का उपयोग होता है जो बहुत महंगे हैं
इसने आगे कहा कि ट्रूनेट और सीबीएनएएटी की सटीकता क्रमशः 98 प्रतिशत और 100 प्रतिशत है, जो आरटीपीसीआर जांच की सटीकता (60-70 फीसदी) की तुलना में बहुत अधिक है।
इसने यह भी कहा कि ट्रूनेट और सीबीएनएएटी जांच पर प्रयोगशालाओं द्वारा अनुमानित लागत क्रमशः 2000 रुपये और 3,500 रुपये है, जो आरटीपीआरसी जांच की लागत राशि 1,200 रुपये से अधिक है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश उनके स्थायी वकील रमेश सिंह और अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण ने अदालत को बताया कि यह मूल्य सीमा सीबीएनएएटी और ट्रूनेट जांच पर लागू नहीं है, क्योंकि ये आरटीपीसीआर से अलग हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि तीनों जांच एक समान नहीं हैं और इसलिए इनके लिए समान मूल्य तय नहीं किया जा सकता है।
एसोसिएशन ने अपनी याचिका में दिल्ली सरकार की 30 नवंबर की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें आरटीपीसीआर जांच की कीमत 800 रुपये तय किए जाने का निर्देश जारी किया गया था।
सुनवाई के दौरान, सिंह ने अदालत को बताया कि अदालत पहुंचने से पहले एसोसिएशन को अपनी चिंताओं को लेकर दिल्ली सरकार से बात करनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मूल्य सीमा को ट्रूनेट और सीबीएनएएटी जांचों पर लागू नहीं किया है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 25 फरवरी, 2021 तय की है।
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