लखनऊ, दो जुलाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने धर्म परिवर्तन मामले में हाल ही में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम की याचिका पर शुक्रवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें जांच से संबंधित सामग्री की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की पीठ ने उमर की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कई ऐसे समाचार प्रस्तुत कर रहा है जो जांच एजेंसी की जांच का हिस्सा हैं। उसका कहना है कि यह जांच को प्रभावित कर सकता है।
याचिका में कई समाचार चैनलों को विरोधी पक्ष बनाते हुए याचिकाकर्ता ने अपने मामले की किसी भी सामग्री के प्रसारण और रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है । याचिका का विरोध करते हुए सरकारी अधिवक्ता प्रथम एसएन तिलहरी ने तर्क दिया कि जांच एजेंसी ने मीडिया के किसी भी वर्ग को कोई सामग्री लीक नहीं की और शुरुआत में केवल प्राथमिकी की सामग्री उपलब्ध कराई थी ।
तिलहरी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पहले ही मीडिया रिपोर्टिंग के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित कर दिए हैं और इस तरह तत्काल याचिका पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका पर सुनवाई के बाद पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
गौतम और उसके सहयोगी को उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने मूक बधिर छात्रों और अन्य गरीब लोगों को शादी, पैसे और नौकरी का लालच देकर धर्मांतरण में शामिल संगठन चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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