नयी दिल्ली, 11 फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईस्ट किदवई नगर पुनर्विकास परियोजना में यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया कि यह ‘‘दिल्ली के मास्टर प्लान’’ के अनुरूप है और विभिन्न वैधानिक प्राधिकारों ने इसे मंजूरी दी है।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि परियोजना को दी गई अनुमति को कोई विशेष चुनौती नहीं दिये जाने को लेकर वह इसकी समीक्षा नहीं कर सकता।
हालांकि, अदालत ने कहा कि परियोजना के लिए काटे गये पेड़ों के एवज में क्षतिपूर्वक पौधारोपण किये जाने में कमी है।
अदालत ने यह भी कहा कि कार्यालयों का विकेंद्रीकरण करना वक्त की दरकार है, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दिल्ली में अभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के कार्यालयों को दूसरी जगह ले जाने पर पूर्ण पाबंदी है और इस तरह मौजूदा परियोजना अवैध हो जाती है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने सिविल इंजीनियरिंग उपक्रम, एनबीसीसी को यह निर्देश दिया कि वह क्षतिपूरक पौधारोपण कार्य पूरा होने तक आवंटियों को वाणिज्यिक/ कार्यालय खंड नहीं सौंपे।
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