पत्नी सिंदूर और चूड़ी पहनने से इनकार करे तो मतलब उसे शादी मंजूर नहीं, हाईकोर्ट का फैसला

By भाषा | Published: June 30, 2020 12:18 PM2020-06-30T12:18:22+5:302020-06-30T12:18:22+5:30

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक पति को इस बात पर तलाक दी है कि क्योंकि उसकी पत्नी सिंदूर और चूड़ी पहनने से मना करती थी। कोर्ट ने कहा, हिंदू महिला द्वारा इन रीति-रिवाजों को ना मानने का मतलब है कि वह शादी स्वीकार करने से मना कर रही है।

High Court Grants Divorce On Wife's Refusal To Wear "Sindoor" | पत्नी सिंदूर और चूड़ी पहनने से इनकार करे तो मतलब उसे शादी मंजूर नहीं, हाईकोर्ट का फैसला

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsपति ने पारिवारिक अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पारिवारिक अदालत ने पति को तलाक की अनुमति नहीं दी थी।

गुवाहाटी: गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने ‘सिंदूर’ लगाने और ‘चूड़ी’ पहनने से इनकार करने पर एक व्यक्ति को अपनी पत्नी से तलाक लेने की अनुमति दे दी। अदालत ने इस आधार पर तलाक को मंजूरी दी कि एक हिंदू महिला द्वारा इन रीति-रिवाजों को मानने से इनकार करने का मतलब है कि वह शादी स्वीकार करने से इनकार कर रही है। पति की याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अजय लाम्बा और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की एक खंड पीठ ने एक पारिवारिक अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसने इस आधार पर पति को तलाक की अनुमति नहीं दी थी कि पत्नी ने उसके साथ कोई क्रूरता नहीं की।

पत्नी का सिंदूर, चूड़ी को नजरअंदाज करना दिखता है कि वह दाम्पत्य जीवन में खुश नहीं है: हाईकोर्ट

व्यक्ति ने पारिवारिक अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने 19 जून को दिए अपने फैसले में कहा, ‘‘चूड़ी पहनने और सिंदूर लगाने से इनकार करना उसे (पत्नी को) अविवाहित दिखाएगा या फिर यह दर्शाएगा कि वह वादी के (पति) साथ इस शादी को स्वीकार नहीं करती है। प्रतिवादी का यह रवैया इस ओर इशारा करता है कि वह वादी (पति) के साथ दाम्पत्य जीवन को स्वीकार नहीं करती है।’’

इस कपल की शादी 2012 में हुई और ये 2013 से अलग रह रहे थे

इस जोड़े की शादी 17 फरवरी, 2012 में हुई थी, लेकिन इसके शीघ्र बाद ही दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए थे, क्योंकि महिला अपने पति के परिवार के सदस्यों के साथ नहीं रहना चाहती थी। परिणामस्वरूप दोनों 30 जून, 2013 से ही अलग रह रहे थे। पीठ ने कहा कि महिला ने अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन यह आरोप निराधार साबित हुआ।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘पति या उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ निराधार आपराधिक मामले दर्ज कराने की इन गतिविधियों को उच्चतम न्यायालय ने क्रूरता करार दिया है।’’ न्यायाधीशों ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने इस तथ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया कि महिला ने अपने पति को उसकी बूढ़ी मां के प्रति दायित्वों के निर्वाह से रोका। आदेश में कहा, ‘‘इस तरह के सबूत क्रूरता को साबित करने के लिए पर्याप्त है।’’ 

Web Title: High Court Grants Divorce On Wife's Refusal To Wear "Sindoor"

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