जबलपुर (मध्यप्रदेश), दो नवंबर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि अपने द्वारा पेश किए गये हलफनामे की उस प्रति को याचिकाकर्ताओं को मुहैया कराएं, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का डाटा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय यादव व न्यायमूर्ति वी के शुक्ला की युगलपीठ ने 27 याचिकाकर्ताओं द्वारा मध्य प्रदेश सरकार के ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढाकर 27 प्रतिशत किये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 9 दिसम्बर को निर्धारित की गयी है।
यह जानकारी अधिवक्ता आदित्य सांघी ने दी है, जो दो याचिकाओं में छात्रों की पैरवी कर रहे हैं।
इससे पहले सुनवाई में प्रदेश सरकार ने अदालत में एक हलफनामा पेश किया था, जिसमें ओबीसी वर्ग के सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का डाटा है।
सांघी ने बताया कि याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया है कि प्रदेश में करीब 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। इसलिए इस वर्ग के लिए बढ़ाकर किया गया 27 प्रतिशत आरक्षण उचित है। लेकिन इसका याचिकाकर्ताओं ने विरोध किया।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क दिया कि उच्चतम न्यायालय की 9 सदस्यीय पीठ ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।