हेलीकॉप्टर दुर्घटना: लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, तीन अन्य सुरक्षाकर्मियों को अंतिम विदाई दी गई

By भाषा | Updated: December 12, 2021 23:19 IST2021-12-12T23:19:50+5:302021-12-12T23:19:50+5:30

Helicopter crash: Lt Col Harjinder Singh, three other security personnel bid farewell | हेलीकॉप्टर दुर्घटना: लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, तीन अन्य सुरक्षाकर्मियों को अंतिम विदाई दी गई

हेलीकॉप्टर दुर्घटना: लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, तीन अन्य सुरक्षाकर्मियों को अंतिम विदाई दी गई

नयी दिल्ली/तरनतारन/भोपाल, 12 दिसंबर लेफ्टिनेट कर्नल हरजिंदर सिंह का रविवार को दिल्ली छावनी स्थित बरार स्क्वेयर अंत्येष्टि स्थल पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। वह पिछले हफ्ते तमिलनाडु में कुन्नूर के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले 13 लोगों में शामिल थे।

इसके अलावा, इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले नायक जितेंद्र कुमार, नायक गुरसेवक सिंह और लांस नायक बी साई तेजा का भी रविवार को उनके पैतृक स्थानों पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। फूलों से सजे सेना के वाहनों में तिरंगे से लिपटे जवानों के पार्थिव शरीर पहुंचने पर हजारों लोगों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

लेफ्टिनेट कर्नल हरजिंदर सिंह की बेटी ने चिता को मुखाग्नि दी। इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और सशस्त्र बलों के प्रमुखों ने दिल्ली छावनी स्थित बरार स्क्वेयर पहुंचकर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए।

थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और अन्य सैन्य अधिकारियों ने लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह को श्रद्धांजलि दी। उनके परिवार में उनकी पत्नी मेजर (सेवानिवृत्त) एगनीस पी मेनेजेस और बेटी प्रीत कौर हैं।

रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह के परिवार को सांत्वना देते हुए भी दिखे।

भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और सशस्त्र बलों के 10 अन्य कर्मियों की आठ दिसंबर को कुन्नूर के पास हुए हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु हो गई थी।

लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह का जन्म 17 अप्रैल 1978 को हुआ था और वह सितंबर 2001 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। सीडीएस के स्टाफ ऑफिसर के रूप में कार्यरत लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह 11 गोरखा राइफल्स से संबंधित थे और रावत भी इसी रेजिमेंट से थे।

वहीं, हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुए नायक जितेंद्र कुमार (32) का रविवार को मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव धामंदा स्थित श्मशानघाट में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

कुमार की चिता को उनके डेढ़ वर्षीय बेटे चैतन्य ने अपने चाचा की गोद में बैठकर मुखाग्नि दी जिसके बाद उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुमार के पार्थिव शरीर पर रविवार दोपहर उनके गांव पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की।

चौहान ने घोषणा की, ‘‘शहीद के परिवार को सम्मान निधि के तौर पर एक करोड़़ रुपये दिए जाएंगे और उनकी पत्नी सुनीता को शासकीय सेवा में शामिल किया जाएगा। कुमार के बच्चों की शिक्षा की भी राज्य सरकार व्यवस्था करेगी।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक स्कूल का नाम अमर शहीद जितेंद्र कुमार के नाम पर होगा और धामंदा गांव में शहीद की स्मृति में स्मारक बनेगा।

उधर, पंजाब के तरनतारन में नायक गुरसेवक सिंह को उनके तीन साल के बेटे फतहदीप ने डोडे सोढ़ियां गांव में मुखाग्नि दी। फतहदीप ने सेना की वर्दी जैसे कपड़े पहन रखे थे, जिसे उसकी मां ने हाल में ही खरीदा था। गुरसेवक ने कभी अपने बेटे को सेना के कपड़ों में देखने की इच्छा जाहिर की थी।

पड़ोसी अमृतसर जिले से जब तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव ले जाया जा रहा था तो सिंह के घर के पास सड़क के दोनों किनारों पर बड़ी संख्या में लोग कतार में खड़े थे।

सिंह के परिवार में उनकी पत्नी जसप्रीत कौर, बेटियां सिमरतदीप कौर (9), गुरलीन कौर (7), बेटा फतहदीप और पिता कबल सिंह हैं। सिंह नवंबर में अंतिम बार घर आए थे।

वहीं, आंध्र प्रदेश में लांस नायक बी साई तेजा का चित्तूर जिले के उनके पैतृक गांव एगुवरेगादई में रविवार दोपहर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

तेजा के छोटे भाई व सेना में जवान चैतन्य ने उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान वहां सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे और ‘जय जवान’ और ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष के साथ नम आंखों से उन्हें विदाई दी गई। सेना के अधिकारियों ने तेजा की विधवा को तिरंगा भेंट किया।

शनिवार को तेजा के पार्थिव शरीर को बेंगलुरु के आर्मी बेस हॉस्पिटल से फूलों से सजे सैन्य वाहन में उनके गांव पहुंचाया गया। इस दौरान आंध्र-कर्नाटक सीमा से 30 किलोमीटर एगुवरेगादई तक हजारों लोग हाथों में झंडा लिए सड़क किनारे खड़े थे।

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