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पीएम केयर्स को राज्य, सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने की याचिकाओं पर 10 दिसंबर को सुनवाई

By भाषा | Updated: November 26, 2021 18:15 IST

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नयी दिल्ली, 26 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीएम केयर्स कोष को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत एक ‘राज्य’ और ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ घोषित करने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख शुक्रवार को आगे खिसकाते हुए अब 10 दिसंबर तय की है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल द्वारा पहले सुनवाई के अनुरोध वाले आवेदन को मंजूर करते हुए कहा, “मामले के तथ्यों को देखते हुए, हमने आवेदन मंजूर कर लिया है और सुनवाई की तारीख पहले खिसकाकर 10 दिसंबर कर दी है।”

मामला सुनवाई के लिए 18 नवंबर को सूचीबद्ध हुआ था जब पीठ के नहीं बैठने पर इसे 20 दिसंबर तक टाल दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने दो याचिकाएं दायर कर पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत 'राज्य' घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है ताकि इसके कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और इसे आरटीआई अधिनियम के तहत 'सार्वजनिक प्राधिकरण' घोषित करने का भी अनुरोध किया गया है। दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जा रही है।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड एक 'राज्य' है क्योंकि इसका गठन 27 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल-जारी कोविड-19 वैश्विक महामारी- के मद्देनजर भारत के नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए किया गया था।

उनके वकील ने अदालत से कहा था कि अगर यह पाया जाता है कि पीएम केयर्स फंड संविधान के तहत 'राज्य' नहीं है, तो डोमेन नाम 'जीओवी', प्रधानमंत्री की तस्वीर, राज्य चिह्न आदि का उपयोग बंद करना होगा।

हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक अवर सचिव, जो मानद आधार पर पीएम केयर्स ट्रस्ट में अपने कार्यों का निर्वहन कर रहें हैं, उनके द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड एक सरकारी कोष नहीं है क्योंकि इसमें दिया गया दान भारत की संचित निधि में नहीं जाता है और संविधान और आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी को उसके दर्जे के बावजूद पृथक नहीं किया जा सकता है।

इसने कहा था कि ट्रस्ट पारदर्शिता के साथ काम करता है और इसकी निधि का ऑडिट एक ऑडिटर द्वारा किया जाता है - जो भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा तैयार की गई समिति से लिया गया एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होता है।

इसने तर्क दिया था कि संविधान और आरटीआई अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि (पीएम केयर्स फंड) के दर्जे के बावजूद, तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं है।

हलफनामे में कहा गया था कि चाहे ट्रस्ट एक 'राज्य' हो या संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ के भीतर अन्य प्राधिकरण या चाहे वह आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अर्थ के भीतर एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' हो, "तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं है।”

इस दलील का विरोध करते हुए कि पीएम केयर्स फंड एक सरकारी कोष नहीं है, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि यह दिखाने के लिए कोई कारक नहीं है कि कोष निजी था।

उन्होंने कहा था कि संविधान किसी सरकारी पदाधिकारी को अपने दायरे से बाहर कोई ढांचा खड़ा करने की इजाजत नहीं देता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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