पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा और इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ को बैंगलोर विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया
By अनुभा जैन | Published: October 17, 2023 07:10 PM2023-10-17T19:10:46+5:302023-10-17T19:12:10+5:30
इसरो के चेयरमैन एस.सोमनाथ और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा को बैंगलोर विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
बेंगलुरु: "जब शिक्षा पैसा कमाने का जरिया न होकर व्यक्तित्व निर्माण का जरिया बने, तभी जीवन में सुख, शांति और सुकून मिल सकता है।" पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने बेंगलुरु में आयोजित बेंगलुरु विश्वविद्यालय के 58वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करते हुए यह बात कही।
गौड़ा के लिए यह दूसरी मानद डॉक्टरेट उपाधि है। इससे पहले, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएस), बेंगलुरु ने उन्हें 1997 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। उन्होंने कहा कि शिक्षा सिर्फ कागजी प्रमाणपत्र नहीं होनी चाहिए, इसमें संस्कार भी शामिल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कृति ही जीवन का मूल है। जीवन तभी सार्थक है जब आप बड़े होंगे। उन्होंने बताया कि शिक्षा का मतलब केवल किताबों और अक्षरों का ज्ञान ही नहीं बल्कि मन को प्रशिक्षित करना भी है, शिक्षा के अंतर्गत मन के विकास के साथ-साथ हृदयशीलता का भी विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अर्जित धन से धार्मिक कार्य करने पर ही मन को संतुष्टि मिलती है। प्रत्येक विद्यार्थी की जीवनशैली अनुशासित होनी चाहिए। शिक्षा न केवल किसी के जीवन का निर्माण करती है बल्कि देश का भी विकास करती है। संस्कृति को ऊंचे स्तर पर ले जाएं।
इस मौके पर उन्होंने इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ को बधाई दी। उन्होंने कहा, "सफल चंद्रयान-3 के पायलट सोमनाथ को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। इसरो संगठन ने आज हमारे देश भारत को अंतरिक्ष के मानचित्र पर दुनिया के सामने पेश करके हम सभी को गौरवान्वित किया है।" इस मौके पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
इसरो के चेयरमैन एस.सोमनाथ ने कहा, "अंतरिक्ष एजेंसी के प्रतिनिधि के तौर पर मैं यह सम्मान पाकर बहुत खुश हूं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बेंगलुरु यूनिवर्सिटी नई तकनीक का एक मंच है। देवेगौड़ा न केवल एक वरिष्ठ राजनेता, राजनीतिक विश्लेषक बल्कि जनता के प्रधानमंत्री भी थे।"
उन्होंने कहा, "मुझे दिया गया सम्मान और डॉक्टरेट मैं चंद्रयान के हर वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी को समर्पित करता हूं।" हममें से कई लोग आज भी अंतरिक्ष अन्वेषण में हैं। हम आचरण करना जारी रखते हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान मिशन के जरिए हमने एक बार फिर भारत की ताकत को साबित किया है।
इस अवसर पर राज्यपाल थावर चंद गेहलोत, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एम. सी. सुधाकर, झारोदा के एसोसिएट प्रोफेसर निखिल कामथ, विश्वविद्यालय के चांसलर प्रो. जयकारा, विधान परिषद सदस्य सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में कुल 193 विद्यार्थियों को 299 स्वर्ण पदक और 113 नकद पुरस्कार प्रदान किये गये। 204 विद्यार्थियों को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई है।